पी एम मोदी ने रांची से देश को दी तीन सौगात, विधान सभा भवन का किया उद्घाटन

AJ डेस्क: पीएम नरेंद्र मोदी रांची के जगन्नाथ मैदान में रैली को संबोधित करते हुए विपक्ष पर निशाना साधा। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार की योजनाओं के बारे में बताते हुए कहा कि जब जब गरीबों और आदिवासी समाज के लिए जुड़ी योजनाओं की बात की जाएगी तो झारखंड का नाम याद किया जाएगा। यहीं से आयुष्मान भारत की शुरुआत की गई। देश के करोड़ों किसानों को पेंशन देने वाली मानधन योजना की शुरुआत की गई। इसके साथ ही करोड़ों व्यापारियों को पेंशन योजना देने की योजना की भी शुरुआत की गई है।

 

 

 

 

उन्होंने कहा कि 100 दिन में ही सरकार के कामकाज का ट्रेलर दिख चुका है। पहले 100 दिन में केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक फैसले किए। तीन तलाक, आतंकवाद और जम्मू-कश्मीर के विषय में अहम फैसले किये गए। हमारी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ है, आपने देखा होगा इस दिशा में कार्रवाई हो रही है और कुछ लोग सही जगह पर पहुंच गए हैं। जो लोग आम लोगों के पाकेट पर नजर डालेंगे उनके साथ क्या होगा आप समझ सकते हैं।

 

 

पीएम मोदी ने कहा कि देश अब नकारात्मक दौर से बाहर निकल चुका है। दशकों तो आम लोगों को राजनीतिक दलों ने अपनी जरुरतों के हिसाब से इस्तेमाल किया। लेकिन जब जनता को समझ में आ गया कि निजी स्वार्थ के लिए उनका इस्तेमाल किया जा रहा है तो बदलाव पर मुहर लगा दी। अगर एनडीए सरकार के अब तक के कार्यकाल पर नजर दौड़ाई जाए तो एक बात साफ है कि देश के विकास के लिए जो प्लान बनाए गए वो हर किसी की उम्मीदों को पूरा करने में कामयाब रहे हैं।

 

 

 

जनसभा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुटे ग्राम में यहां झारखंड विधानसभा के एक नव निर्मित भवन का बृहस्पतिवार को उद्घाटन किया। इस तीन मंजिला इमारत का निर्माण 465 करोड़ रुपये की लागत से हुआ है। यह देश की पहली कागज रहित विधानसभा है। साथ ही सचिवालय के नए भवन का शिलान्यास भी किया गया।

 

 

इसके साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी ने साहेबगंज के मल्टी मॉडल हब का उद्धाटन किया। इसके शुरू होने के बाद जलमार्ग से लोग सस्ती दरों पर माल की ढुलाई कर सकेंगे। ये ढुलाई बांग्लादेश, म्यांमार समेत कुछ दूसरे देशों को भी हो सकेगी।

 

 

 

 

आदिवासियों को साधने के लिए पीएम मोदी ने गुरुवार को 462 एकलव्य मॉडल स्कूल की भी ऑनलाइन आधारशिला रखी। इनमें से 69 स्कूल झारखंड में खोले जाएंगे। एकलव्य मॉडल स्कूल की स्थापना उन प्रखंडों में होगी, जहां अनुसूचित जनजाति की आबादी 50 फीसदी से ज्यादा हो या उनकी जनसंख्या 20 हजार से अधिक हो। इसकी स्थापना केंद्र और राज्य सरकार मिलकर करेगी।

 

 

 

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