घर-घर रघुवर IN, रसोई से प्याज OUT, सेब और प्याज का रेट बराबर

AJ डेस्क: झारखण्ड में संभावित विधान सभा चुनाव को लेकर भाजपा “घर-घर रघुवर” का नारा बुलंद किए हुए है तो महंगाई के चरम पर पहुंच रही प्याज आम आदमी के आँखों में आंसू लाए हुए है, दुःखित गृहस्वामी आउट प्याज की बात करने लगे हैं। प्याज के रेट में इसी तरह बढ़ोतरी होते रही तो घर घर IN और OUT का स्लोगन बदल जाने का खतरा उतपन्न हो सकता है।

 

 

 

 

कोयलांचल की झरिया सब्जी मंडी के थोक व्यापारी प्याज के खरीदारी में आयी गिरावट के कारण बाहर से माल ही कम मंगा रहे हैं। प्याज के भाव में अप्रत्याशित रूप से हो रही बढ़ोतरी ने उसके बिक्री में गिरावट लाया है। प्याज अब साधारण लोगों की पहुंच से दूर होता जा रहा है। प्याज पहले भी आँखों में पानी भर देता था लेकिन अब तो वह रुलाने लगा है।

 

 

झरिया मंडी के थोक व्यापारी बताते हैं कि आज से लगभग 15 दिनों पहले प्याज 24 रूपये प्रति किलो के रेट से बिक रहा था। इसके बाद प्याज का रेट उछाल लेने लगा जो थमने का नाम ही नहीं ले रहा। 24 के बाद 28 फिर 32 उसके बाद 40 तो 48 अब 60 रु प्रतिकिलो तक पहुंच गया है। वैसे जिला के कुछ क्षेत्रों में प्याज 80 रु तक पहुंच चुका है। व्यापारी कहते हैं कि रेट बढ़ने का जो ट्रेंड बना है उसमें प्याज 150 रु प्रतिकिलो तक भी पहुंच जाएगा तो कोई आश्चर्य की बात नही होगी।

 

 

 

 

कोयलांचल में अभी प्याज और सेब एक भाव में बिक रहे हैं। प्याज के बदले सेब खाना सेहत के लिए ठीक भी रहेगा लेकिन रसोई से प्याज के गायब होते ही थाली का स्वाद भी खत्म हो जाएगा। महंगा प्याज और राजनीति के बीच पुराना सम्बन्ध रहा है। झारखण्ड में विधान सभा का चुनाव सर पर है, प्याज का रेट इसी तरह बढ़ता रहा तो यह विपक्षियों के लिए हथियार का भी काम कर सकता है और घर घर—– का अर्थ भी प्याज बदल सकता है।

 

 

 

 

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