झरिया में कौन वसूलता है डेढ़ सौ रुपए प्रति टन कोयले पर रंगदारी?

AJ डेस्क: झरिया कोयलांचल की कोलियरियों से कोयला का व्यापार करने वालों को डेढ़ सौ रूपये प्रति टन के हिसाब से रंगदारी टैक्स देना पड़ता है। आखिर यह कौन सफेदपोश लोग हैं जो प्रति दिन लाखों रूपये रंगदारी वसूलते हैं और जिला प्रशासन इस मामले में हाथ पर हाथ धरे बैठा है।

 

 

 

 

झरिया कोयलांचल की कोलियरियों में सफेदपोश माफियाओं के बेरोजगार गुर्गे चप्पे चप्पे पर नजर रखे हुए हैं। रंगदारी वसूलने का सिस्टम इतना बेहतर बनाया गया है कि प्रशासन ऑन स्पॉट किसी को रंगदारी वसूलते भी नही पकड़ सकता। डेढ़ सौ रूपये टन रंगदारी बिजनेस का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। कोयला व्यापारी बिना बहस के यह राशि दे देते हैं। वह जानते हैं कि बिना रंगदारी दिए वह कोयला नही उठा पाएंगे। कोलियरियों के कुछ कार्यालय को ही रंगदारी वसूली के सिस्टम के साथ जोड़ दिया गया है। व्यापारियों के लोडिंग प्वाइंट पहुंचते ही सब कुछ खुद ब खुद एक्टिव हो जाता है। सफेदपोश माफियाओं के गुर्गे दिन भर वसूली गयी राशि को सभी जगह से इकट्ठा कर उसे बताए गए स्थान पर पहुंचा देते हैं।

 

 

कोलियरियों के लोडिंग प्वाइंट और कांटा घर पर वर्चस्व जमाने के लिए भले ही इन सफेदपोश माफियाओं के बीच खूनी संघर्ष होता रहता है। सिंदरी पुलिस अनुमंडल के थानों में इस तरह की कई फाइलें धूल चाट रही होंगी। रंगदारी पर वर्चस्व जमाने के लिए अलग अलग क्षेत्र में अलग अलग गुटों के बीच संघर्ष होता है लेकिन यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि रंगदारी के लिए नए नए गुटों की अलग अलग जगह पर एक ही दबंग घराने के साथ भिड़ंत होती है। कोयलांचल में कोयला कारोबार से रंगदारी वसूलने में एक ही दबंग घराना का वर्चस्व रहा है।

 

 

 

 

इस दबंग घराने की क्षेत्र के भटके हुए बेरोजगार युवाओं पर अच्छी पकड़ है ही, राजनीतिक गलियारे में भी पहचान है। या यूँ भी कहा जा सकता है कि अपने काले धंधों और उससे होने वाली अनाप शनाप कमाई को सुरक्षित रखने के लिए ही इस घराने को राजनीतिक लबादा ओढ़ने की मजबूरी होती है। राजनीतिक पहचान, परिचय, मजदूर नेता का टैग होता ही है इनके पास। जिसके आड़ में प्रतिदिन लाखों रूपये की रंगदारी वसूली आसानी से हो जाती है।

 

 

कोयला व्यापारियों को पहले 300 रूपये ट्रक के हिसाब से लोडिंग चार्ज देना होता था जो अब 650 रूपये ट्रक हो गया। व्यापारियों को इसके अतिरिक्त 150 रूपये टन रंगदारी का भुगतान करना पड़ता है।यानि इस सिस्टम के चलते देश की ऊर्जा का दाम यहीं से बढ़ जाता है। आप जोड़ सकते हैं कि प्रति ट्रक व्यापारियों का कितना अतिरिक्त खर्च बढ़ जाता है। व्यापारी इस खर्च को कोयले के दाम में ही जोड़कर उसे बेचेंगे, यह स्वभाविक है।यानि कुल मिलाकर यह रंगदारी भी जनता के मत्थे ही गिरता है। उसी जनता के जिससे अभी यह दबंग सफेदपोश रंगदार नेता अपना चोला बदल वोट की भीख मांगेंगे।

 

 

 

 

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