बड़ा सवाल: सजायाफ्ता और विवादों में घिरे को भाजपा देगी टिकट ?
AJ डेस्क: टाइगर, दबंग, राजधानी का खासमखास और भी न जाने कितने उप नामों से अलंकृत हैं बाघमारा से भाजपा के विधायक ढुल्लू महतो। इनके करतूतों की लम्बी फेहरिस्त है। हमेशा किसी न किसी विवाद से घिरे रहते हैं। हाल में दो गम्भीर मामलो में माननीय घिर गए हैं। धनबाद की अदालत ने विधायक को सजायाफ्ता घोषित कर दिया है तो कतरास पुलिस उन्हें महिला के साथ यौन शोषण का प्रयास किए जाने के आरोप में अभियुक्त बनाया है। इसके बावजूद ढुल्लू महतो चुनावी दंगल में ताल ठोकने की पूरी तैयारी में हैं। अब हर हाल में पार्टी की छवि स्वच्छ रखने का संकल्प दोहराने वाली भाजपा को अग्नि परीक्षा से गुजरना होगा।
धनबाद के बाघमारा से भाजपा के विधायक ढुल्लू महतो का अपने क्षेत्र से लेकर राजधानी के गलियारे तक गहरी पैठ है। कोयलांचल की जनता दबी जुबान कहती भी है कि विधायक का कोई तोड़ नही है। विधायक का स्टार बुलन्दी पर है और वर्तमान सरकार के रहते कोई उसका बाल बांका भी नहीं कर सकता। खुद विधायक ही दावा करते हैं कि कोई उनका दोष प्रमाणित कर दे तो वह राजनीति छोड़ देंगे। यह सभी जानते हैं कि विधायक पर दोष साबित कर पाना आसान नही है। वैसे भी जाँच एजेंसियां तो सरकार का ही एक हिस्सा है न।

फ़िलहाल धनबाद कोर्ट ने वर्ष 2013 के एक मामले में विधायक ढुल्लू महतो को दोषी ठहराते हुए उनके खिलाफ सजा सुनाया है। भाजपा नेत्री कमला कुमारी के शिकायत पर दस महीने बाद ही सही कतरास पुलिस ने ढुल्लू महतो को अभियुक्त बनाते हुए केस दर्ज कर लिया है।
विवाद और विधायक का चोली दामन जैसा सम्बन्ध बन गया है। कोयलांचल की आर्थिक रीढ़ हार्ड कोक उद्योग वाले आखिर क्यूँ विधायक ढुल्लू महतो का नाम लेकर उनके खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। यहां भी विधायक तो सीधे रंगदारी की मांग किए नही हैं। गिरिडीह से भाजपा के सांसद रह चुके रविंद्र पांडे पर महिला के द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराया जाना, विधायक बनाम सांसद विवाद छिड़ना, सार्वजनिक रूप से एक दूसरे पर गम्भीर आरोप लगाया जाना, अपने ही पार्टी के सांसद के खिलाफ अमर्यादित बयान बाजी करना और विधायक द्वारा सांसद को चुनाव नही लड़ने देने की धमकी देना तथा उसके बाद सही में रविंद्र पांडे का टिकट कट जाना–यह क्या दर्शाता है। यहां सवाल उठता है कि आखिर ढुल्लू महतो इतना विवादों में क्यों रहते हैं।

बीसीसीएल के एरिया एक से लेकर पांच तक जो कि बाघमारा क्षेत्र में पड़ता है, वहां से कोई भी व्यापारी कोयला तभी उठा सकता है जब वह दरबार से आशीर्वाद प्राप्त कर ले। दरबार से आशीर्वाद तभी मिलेगा, जब वहां चढ़ावा चढ़ जाए। कहते हैं कि कई आउट सोर्सिंग कम्पनियों को अपना बोड़िया बिस्तर समेट कर भागना पड़ा है। एक आउट सोर्सिंग कम्पनी के अधिकारी ने मोर्चा खोलकर भी देख लिया कि उसका परिणाम क्या हुआ।
लम्बी फेहरिस्त है। अचानक और एक बार सबका बखान करना भी सम्भव नही है लेकिन पार्टी को तो हर मामले की सूचना है। भाजपा प्रत्याशियों की सूचि बनाने के पहले बार बार सर्वे करा रही है। अब तो आने वाला समय ही बताएगा कि पार्टी का सर्वे रिपोर्ट भी सरकारी एजेंसियों की तरह है या सही में इसपे गम्भीरता से काम हुआ है। पार्टी क्षेत्र से मिले फीडबैक के आधार पर टिकट बांटती है या ड्राईंग रूम कल्चर के अनुसार – सजायाफ्ता और यौन शोषण के प्रयास के अभियुक्त को भी अपना प्रत्याशी बनाती है।

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