राजीव रंजन के लापता होने के बाद “कुंती सिंह” आयीं “जनता की सेवा” में (पार्ट- 08)

AJ डेस्क: स्व सूर्यदेव सिंह के बाद हिचकोले खा रही “सिंह मेंशन” की नैया को “राजीव रंजन” ने बखूबी सम्भाला था। हाथ से निकल चुकी झरिया सीट को पुनः राजीव रंजन ने वापस लाया और मेंशन की प्रतिष्ठा को बढ़ाया। अचानक युवाओं के दिल की धड़कन राजीव रंजन लापता हो गया। एक दशक तक संघर्ष झेलने के बाद किसी तरह सम्भले सिंह मेंशन के लिए यह बड़ा झटका था लेकिन विशुद्ध घरेलू महिला कुंती सिंह ने मोर्चा संभाला और सिंह मेंशन फिर से झरिया वासियों के सुख दुख का भागीदार बनने लगा।

 

 

 

 

विधायक जी यानि सूर्यदेव सिंह की जीवन संगिनी बनने के बाद कुंती सिंह ने भी काफी उतार चढ़ाव देखे। एक समय ऐसा भी था जब कोयला खदान में मजदूर लालटेन लेकर जाते थे, उस वक्त कुंती सिंह मजदूरों के लालटेन में किरासन तेल भरा करती थीं। धर्म पत्नी की जिम्मेवारी का कुशलता के साथ निर्वहन करते हुए कुंती सिंह ने विधायक जी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने का प्रयास किया। विधायक जी से उन्होंने बहुत कुछ सीखा भी, उसमे एक बड़ी सीख यह थी कि कुंती सिंह घर की सबसे बड़ी बहु थी और उन्होंने अपने सभी देवर, ननद को हमेशा साथ लेकर चलने का प्रयास किया। किसी के साथ भेद भाव नही रखा। या यूँ कहें कि ऐसे भी कई मौके आए जब विधायक जी कुंती सिंह के नाम अचल सम्पति लेने की इच्छा जाहिर किए और कुंती सिंह ने इसका विरोध किया। कुंती सिंह कहती थीं कि अपने भाईयों के नाम पर सम्पति लेवें।

 

 

 

 

हालात बदले, परिस्थितियां बदलीं। घरेलू महिला को राजनीति के मैदान में उतरना पड़ा। सिंह मेंशन के लोगों को एक भी सताता था कि विधायक जी ने खून पसीना से सींचकर जो “बगिया” (झरिया) को सजाया था, वह गलत लोगों के हाथ न चला जाए। वर्ष 2005 में कुंती सिंह झरिया विधान सभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ीं। झरिया की जनता ने उन्हें सर माथा पर बैठाया और कुंती सिंह लगातार दो बार झरिया से चुनाव जीतीं।

 

 

 

राजनीति का “क -ख-ग-” नहीं जानने वालीं कुंती सिंह विधान सभा में झरिया का मजबूत प्रतिनिधित्व करने लगी। झरिया से उनके विधायक बनने पर “कुछ अपनों” को ही परेशानी महसूस होने लगी। विधायक कुंती सिंह को अपनों के ही नए मोर्चा से जूझना पड़ गया। उनके बच्चे भी छोटे थे। हाँ, कुंती सिंह के इस संघर्ष के दौर में उनके देवर रामधीर सिंह और उनके पुत्र शशि ने मजबूती के साथ डटकर उनका साथ दिया। घरेलू महिला सिंह मेंशन से लेकर झरिया की जनता रूपी परिवार की जिम्मेवारी बखूबी निभा गयीं। जनता ने उन्हें प्यार भी दिया तभी तो वह दो बार विधायक चुनी गईं।

 

 

 

 

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