इसे जानें: झारखण्ड की सबसे कम उम्र की विधायक अम्बा, ऊँची तालीम, पिता के विरासत को बढ़ा रही आगे
AJ डेस्क: झारखंड विधानसभा चुनाव के जीत-हार की चर्चा अब आहिस्ता-आहिस्ता दम तोड़ने लगी है। अब लोगों की नजरे हेमंत सोरेन की अगुआई में बनने जा रही नई सरकार की तरफ है। लेकिन अभी भी एक सीट है जिसकी जीत की चर्चा थमने के बजाए लगातार जोर पकड़ती जा रही है। और वो है बड़कागांव सीट। वजह यहां की जीती हुई प्रत्याशी अंबा प्रसाद है। अम्बा प्रसाद न सिर्फ झारखण्ड की एक मात्र ऐसी नवनिर्वाचित विधायक है जो अविवाहित है, बल्कि अम्बा प्रसाद झारखण्ड विधानसभा चुनाव 2019 में जीत कर आने वाली सबसे कम उम्र की विधायक का तमगा भी अपने नाम कर चुकी है। इतना ही नहीं पूरे चुनाव के दौरान इनके खिलाफ उनके प्रतिद्वंद्वी भी बोलने से बचते नज़र आए। हां उनके माता-पिता पर विरोधियों ने जरूर हमले किये।
अंबा प्रसाद कांग्रेस उम्मीदवार थीं। अब जीत गई हैं। उन्होंने आजसू के रौशनलाल चौधरी को 30 हजार 1 सौ 40 मतों से पटखनी दी है। उनके पिता योंगेंद्र साव ने 2009 में यहाँ से विधानसभा चुनाव जीता था। कांग्रेस के टिकट पर। वह मंत्री भी बने थे। उनपर कई आरोप लगे, इसके बाद वह जेल चले गए। पिछले चुनाव में यानि 2014 में अंबा की मां निर्मला देवी ने इस सीट पर चुनाव लड़ा। कांग्रेस के ही टिकट पर। जीतीं भी। यानि लगातार तीन चुनावों में इस सीट पर इसी परिवार का कब्ज़ा रहा है।

योगेंद्र साव पर करीब 24 मुक़दमे दर्ज हैं। रामगढ़ स्पंज आयरन फैक्ट्री से रंगदारी मांगने के दोषी पाए गए। झारखंड हाईकोर्ट ने सज़ा सुनाई। सुप्रीम कोर्ट ने सज़ा को बरकरार रखा। दरसअल 1 अक्टूबर, 2016 को कफ़न सत्याग्रह आन्दोलन हुआ। इसमें गांव वालों के साथ योगेन्द्र साव और उनकी पत्नी निर्मला देवी मैदान में उतरे। गांव वालों की मांग थी कि NTPC ने माइनिंग (खनन) के लिए उनकी जो जमीन ली है, उसका बेहतर मुआवजा दिया जाए। इस दौरान आंदोलन इतनी भयावह हो गई की पुलिस फायरिंग में चार लोग मारे गए। झारखंड में लोग इसे बड़कागांव गोलीकांड के नाम से जानते हैं। जहां 4.25 लाख प्रति एकड़ (रैयत जमीन) मुआवजा मिल रहा था, लेकिन इस गोलीकांड के बाद 20 लाख प्रति एकड़ मिलने लगा।
इस दौरान निर्मला देवी को इस मामले में गिरफ्तार किया गया। जबरन घुसकर गांववालों ने उन्हें पुलिस कस्टडी से छुड़ा लिया। इसके बाद जब मामले की सुनवाई शुरू हुई तो निर्मला देवी को तड़ीपार कर दिया गया। ताकि वो मुक़दमे पर कोई असर न डाल सकें।

अम्बा प्रसाद ने BBA (बैचलर्स ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन) के बाद इन्होंने ह्यूमन रिसोर्सेज में MBA किया। लॉ की भी पढ़ाई की। 2014 में अंबा दिल्ली में रहकर UPSC की तैयारी कर रही थीं। तभी उन्हें पता चला कि उनके परिवार पर राजनीतिक संकट आया है। वहां से वापस वो बड़कागांव आईं, फिर दिल्ली नहीं लौटीं। लोकसभा चुनाव 2019 में भी उन्होंने अपनी मां निर्मला देवी की प्रतिनिधि बनकर बैठकें अटेंड कीं।

अम्बा कहती है, ‘मेरे पूरे पारी कफन आंदोलन में फसाया गया। मेरे पिता पर राजनीति साजिश रची गई, ताकि उन्हें चुनाव से दूर रखा जा सके। परिवार पर आए संकट की वजह से ही मैने दिल्ली में अपनी आईएएस की पढ़ाई को आधे में छोड़ दिया और यहाँ आ गई। मैं फ़िलहाल वकालत कर रही हूँ। ताकि अपने माता-पिता को न्याय दिला सकू।’ अंबा प्रसाद कहती हैं, ‘यदि उनको मंत्री बनने का मौका मिला, तो वो उस कुर्सी पर बैठ कर अच्छे काम करेंगी।’
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