धनबाद कोयलांचल में ट्रेड यूनियनों का हड़ताल असरदार रहा
AJ डेस्क: दस ट्रेड यूनियनों ने आज मोदी सरकार की जन-विरोधी नीतियों के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल किया है। जिसका खासा असर देश की कोयला राजधानी धनबाद में भी देखने को मिल रहा है। यहाँ बैंक से लेकर कोलियरियों तक कर्मचारी और मजदूरों ने चक्का जाम कर दिया है। एक और जहां बैंक कर्मचारी, दवा कर्मचारी सहित सरकारी मशीनरियों में काम करने वाले कर्मचारियों ने मोर्चा संभाल रखा है तो वहीं काले कोयले की खदानों के बीच कोयला मजदूरों ने कोयला उत्पादन बंद कर दिया है।
इस देश व्यापी हड़ताल में देश भर के करीब 25 करोड़ कर्मचारी शामिल है। इस हड़ताल में बैंक, टीचर, रेलवे कोयला और उद्योग क्षेत्र के कर्मचारी शामिल है। बैंकों की अगर बात करे तो इसमें छह बैंक यूनियन शामिल है। ज्यादातर बैंकों ने इस हड़ताल और इससे उनकी सेवाओं पर पड़ने वाले असर के बारे शेयर बाजार और इससे जुड़ी संस्थानों को सूचित कर दिया है।
धनबाद में स्थित बैंकों के बाहर सुबह से ही बैंक कर्मचारी पोस्टर बैनर के साथ सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते दिखें। यहाँ बैंक हड़तालियों का नेतृत्व कर रहे हैं यूनियन के अध्यक्ष नंदकुमार महाराज ने कहां की केंद्र सरकार की श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ आज पूरे देश भर के बैंक कर्मचारी हड़ताल पर हैं। उन्होंने कहा कि बैंक मर्जर, मजदूरों का पेंशन साथ ही मजदूरों का न्यूनतम वेतन के अलावे हमारी कई ऐसी मांग है जो सरकार को अविलम्ब सरकार को पूरा करना होगा, अन्यथा हम अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को बाध्य होंगे।
इस हड़ताल में शामिल अखिल भारतीय दवा कर्मचारी संघ के लोग भी धनबाद की सड़कों पर पोस्टर बैनर के साथ इस बंद के समर्थन में प्रदर्शन करते दिखें। अखिल भारतीय दवा कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर बिहार-झारखंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव यूनियन धनबाद इकाई के करीब 500 से ज्यादा विक्रय प्रतिनिधियों ने भी अपनी मांगों को लेकर राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शामिल थे। इस दौरान इकाई के सचिव संदीप आईच ने केंद्रीय सरकार के मालिक पक्षीय नीतियों का जमकर विरोध किया तथा उसे मजदूर विरोधी बताया। यूनियन के संयुक्त महामंत्री असीम हलदर ने सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्रीय सरकार ने नई उदारवादी नीतियों को अपनाकर देश को आर्थिक गुलामी की तरफ ढकेल दिया है। आज पूरा देश छटनी, बेरोजगारी, जरूरतमंद सामानों पर बेतहाशा मूल्य वृद्धि आदि समस्या से ग्रसित है।
वहीं कोलियरियों की तरफ रुख करे तो कोलियरियों पर इस देश व्यापी हड़ताल का मिलाजुला असर देखने को मिला। कोयलांचल धनबाद स्थित सेल की तीनों कोलियरियों में कोयला उत्पादन लगभग ठप, तो वहीं बीसीसीएल के कोलियरियों पर बंद का कुछ खास असर नहीं रहा। यहाँ कोयला मजदूर रोज की तरह काम करते भी दिखें। वहीं बंद में शामिल ट्रेड यूनियन के नेताओं ने इस बंद को सफल बताते हुए सरकार के नीतियों को मज़दूर विरोधी बताते हुए अपनी मांगो को गिनाया।
बता दें कि हड़ताल करने वाले कर्मचारियों की मांग है कि सरकार लेबर रिफॉर्म्स प्रस्ताव को वापस ले। श्रम कानून में संशोधनों को वापस लिया जाए। न्यूनतम वेतन में 21,000 रुपए से 24,000 रुपए तक की बढ़ोतरी हो। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण बंद होने चाहिए साथ ही नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को निरस्त किया जाए।
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