वर्दी के पीछे भी होता है “दिल” जो धड़कता भी है, जाने इस पुलिस ऑफिसर की दरियादिली

AJ डेस्क: लॉक डाउन ने रोजगार छीन लिया। खुद मेहनत कर पेट भरता था, हाथ पसारने की आदत नही थी। नतीजा, तीन दिनों से भूखा प्यासा सड़क किनारे बेसुध पड़ा था। अब कहीं जाकर भोजन का इंतजाम करने तक की ताकत नही बची थी। इंस्पेक्टर बिपिन कुमार सड़क किनारे पड़े तारकेश्वर के लिए मसीहा के रूप में सामने आए।

 

 

यह वाक्या झारखण्ड के पतरातू का है। खाकी वर्दी यानि— बहुत अच्छा इमेज सामने नही आता। लेकिन इंस्पेक्टर बिपिन कुमार इस इमेज को तोड़ रहे है। उनका कहना है कि खाकी वर्दी के पीछे भी दिल होता है जो धड़कता भी है। अब मूल वाक्या पर आया जाए। पतरातू के पी वी यू एन एल का मजदूर तारकेश्वर लॉक डाउन में बेरोजगार हो गया। अब उसके सामने भोजन तक की लाले पड़ने लगी। गैरतमंद यह मजदूर अपनी मेहनत पर भरोसा रखता था न कि मांग चांग कर जीवन यापन करने की सोचता था। तारकेश्वर के इसी स्वभाव ने उसे दाने दाने के लिए मोहताज कर दिया था। 72 घण्टे से अन्न का एक दाना भी उसके पेट में नही गया था और अब वह बेसुध हो गया था।

 

 

 

 

क्षेत्र में गश्ती पर निकले इंस्पेक्टर बिपीन कुमार की नजर सड़क किनारे बेसुध पड़े तारकेश्वर पर पड़ी। इंस्पेक्टर ने उसकी व्यथा सुन उसे थाना में जाकर सामुदायिक रसोई में खाने की सलाह दी और आगे बढ़ गए। लौटते वक्त इंस्पेक्टर ने देखा कि वह व्यक्ति अभी भी वहीं पड़ा हुआ है तो उन्होंने उस आदमी से उसकी समस्या पूछी। तब उस ने बताया कि भोजन के आभाव में अब उसका शरीर हिल डुल भी नही रहा था। इंस्पेक्टर बिपिन कुमार थाना जाकर खुद खाना परोसा और फिर वापस तारकेश्वर के पास आए उसे भोजन कराया। अब तारकेश्वर पतरातू थाना में चल रहे सामुदायिक किचन के सहारे भोजन कर रहा है।

 

 

 

 

प्रसव पीड़ा से कराह रही गर्भवती महिला को हॉस्पिटल पहुंचाया-

जिसकी जैसी नियत होती है, उसे वैसा काम मिल भी जाता है, लॉक डाउन में किसी को परेशानी न हो इस बात का ख्याल रखने वाले इंस्पेक्टर बिपिन कुमार पेट्रोलिग के दौरान पी टी पी एस मस्जिद कॉलोनी पहुंचे। वहां प्रसव पीड़ा से कराहती निकहत खान को रामगढ़ के एक निजी अस्पताल में ले जाना जरूरी था लेकिन लॉक डाउन के चलते वाहन नही मिल पा रहा था।स्थानीय लोगों ने इंस्पेक्टर को मजबूरी और आवश्यकता बताई। इंस्पेक्टर बिपिन कुमार अपनी गाड़ी से तुरन्त निकहत खान को पतरातू से रामगढ़ के एक निजी अस्पताल में पहुंचा उसकी जान बचायी। इंस्पेक्टर के इस नेक कार्य की चर्चा खूब हो रही है।

 

 

 

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