मैं हूँ जिलाध्यक्ष का प्रबल दावेदार, आखिर मुझमें कौन सा गुण नहीं

AJ डेस्क: कोयले से हीरा नहीं, कीचड़ से कमल खिलाना है। कमल माँ लक्ष्मी को पसन्द है। माँ लक्ष्मी को ‘धन’ प्राप्ति के लिए ही न कमल का फूल चढ़ाते हैं। फिर एक बड़ी पार्टी के जिलाध्यक्ष की दौड़ में शामिल यह नेता तो धन कमाने की कला में निपुण हैं ही। यह सर्वगुण सम्पन्न भी हैं। इनसे पार्टी को लाभ मिले न मिले लेकिन यह पार्टी का पूरा पूरा लाभ उठाने में माहिर हैं।

 

 

अब राजनीति करने का क्या मतलब कि सभी ‘ब्रह्मचर्य’ धारण कर लें। उम्र है, पर्सनाल्टी है कोई कन्या प्रभावित हो ही जाए तो वह पीछे कैसे हट जाएँ। बात मर्दानगी की भी है। एकदम सही जा रहे नेता जी, लगे रहिए।

 

 

वैश्विक महामारी कोरोना का प्रकोप बढ़ते देख देश के प्रधानमंत्री ने आह्वान किया कि हर सक्षम व्यक्ति अपने आस पास किसी को भूखा न सोने दें। प्रधानमंत्री की मार्मिक अपील के बाद सामाजिक संगठनों, राजनीतिक पार्टियों सहित कई तरह की संस्थाएं आगे आयी और खुलकर गरीबो, जरूरतमंद लोगों का सहयोग किया। यहां गौर फरमाने की जरूरत है प्रधानमंत्री ने कहा था कि कोई भूखा न सोए। बस, नेता जी लग गए जुगाड़ में और गरीबों के लिए आई अनाज पर ही हाथ साफ कर दिया। यह सबके बूते की बात है क्या। यह खासियत जिसमे है वह भला कुर्सी का हकदार क्यों नही होगा।

 

 

 

 

‘लड़े सिपाही नाम सरदार का’। हाल ही में विधान सभा चुनाव सम्पन्न हुआ। पार्टी के किसी प्रत्याशी के लिए उसके क्षेत्र में नही गए। बल्कि प्रत्याशी ही उन्हें बिजी रखने के लिए कोई न कोई जिम्मेवारी देते रहे। भीतरखाने में चर्चा थी कि क्षेत्र में चल गया तो पांच सौ हजार वोट खराब ही हो जायेगा। अरे भाई, वह कहां दिल्ली रांची की दौड़ में शामिल हो रहे हैं। उन्हें तो जिला की कुर्सी चाहिए।

 

 

‘बालू से तेल’ निकालने के खेल में भी माहिर हैं नेता जी। जिला स्तर पर पार्टी का पद तक से लक्ष्मी को प्रसन्न कर देंगे। जिला का बदनाम अवैध कोयला व्यापारी कीचड़ में शामिल हो जाता है। निरसा के एक वरीय नेता के आपत्ति के बाद अपने चहेते को प्रदेश आने जाने का लाइसेंस दिलवा देते हैं। एवज में बंगाल से धनबाद तक जो सेवा मिल रहा है, वह लिखा नही जा सकता।भाई, इसके लिए भी कला की जरूरत है।

 

 

‘रबर स्टाम्प है प्लस प्वाइंट’। अभी हाल ही में कुछ दिगज्ज बैठे। मुद्दा जिलाध्यक्ष का था। सभी दिगज्ज सब कुछ जानते हैं। फिर भी बात यह हुई कि दूध का धुला कोई नही है। इस दावेदार की एक खासियत यह है कि वह रबर स्टाम्प बनकर रहेगा, कभी सर उठाने या दूसरे खेमे में जाने की हिमाकत नही करेगा। यह चरित्र इस युग में बड़ी मुश्किल से मिलता है।

 

कोयलांचल के राजनीतिक ‘चाणक्य’ का आशीर्वाद प्राप्त है तभी तो मस्त हैं। अब देखना यह है कि प्रदेश कौन से फार्मूला को अपनाता है। पार्टी का तेवर और बढ़ाना चाहता है कि——।

 

 

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