‘अब हो सकता है कि मस्जिद बनाने के लिए मंदिर को गिराया जाए’, ऑल इंडिया इमाम संघ के अध्यक्ष का भड़काऊ बयान
AJ डेस्क: ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष साजिद रशीदी ने अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन एवं शिलान्यास पर प्रतिक्रिया दी है। रशीदी ने गुरुवार को कहा कि इस्लाम में मान्यता है कि मस्जिद हमेशा मस्जिद ही रहेगी। कुछ और निर्माण करने के लिए मस्जिद को तोड़ा नहीं जा सकता। उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि बाबरी मस्जिद वहां थी और वह हमेशा मस्जिद के रूप में वहां रहेगी। मंदिर को गिराकर मस्जिद का निर्माण नहीं हुआ था लेकिन अब ऐसा हो सकता है कि मस्जिद बनाने के लिए मंदिर को गिराया जाए।’
सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के पक्ष में दिया है अपना फैसला-
साजिद रशीदी का यह बयान भड़काऊ है क्योंकि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप शुरू हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने नौ नवंबर 2019 के अपने फैसले में मुस्लिम पक्ष की दलीलें खारिज कर दी और सर्वसम्मति से अपना फैसला राम मंदिर के पक्ष में सुनाया। कोर्ट ने मस्जिद के निर्माण के लिए अयोध्या में पांच एकड़ भूमि देने का भी आदेश दिया। साथ ही शीर्ष अदालत ने राम मंदिर के निर्माण के लिए एक ट्रस्ट गठित करने का आदेश सरकार को दिया।
Islam says a mosque will always be a mosque. It can't be broken to build something else. We believe it was, and always will be a mosque. Mosque wasn't built after demolishing temple but now maybe temple will be demolished to build mosque: Sajid Rashidi, Pres, All India Imam Assn pic.twitter.com/DzlbYQ3qdm
— ANI (@ANI) August 6, 2020
पीएम मोदी ने किया राम मंदिर का शिलान्यास-
कोर्ट के इस फैसले के बाद सरकार मंदिर निर्माण की दिशा में आगे बढ़ी है। मुस्लिम समाज ने कोर्ट के इस फैसले को स्वीकार किया है लेकिन असदुद्दीन ओवैसी एवं साजिद रशीदी जैसे नेता मस्जिद मामले को एक बार फिर हवा देने की कोशिश कर रहे हैं। अयोध्या में पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर के लिए भूमि पूजन और शिलान्यास किया।
पीएम की तरह मैं भी भावुक हूं : ओवैसी
अयोध्या में पीएम मोदी के हाथों राम मंदिर का भूमि पूजन होने के बाद ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री का कहना है कि वह भावुक थे। मैं कहना चाहता हूं कि मैं भी उनकी तरह भावुक हूं क्योंकि मैं समान नागरिकता के अस्तित्व में विश्वास रखता हूं। मैं भी भावुक हूं क्योंकि 450 सालों से वहां मस्जिद थी।’
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