सौ साल पहले काशी से कनाडा पहुंची थी देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति, फिर से वाराणसी में होगी स्थापित

AJ डेस्क: रविवार को मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति का जिक्र किया। जिसे कनाडा से वापस लाया जाएगा और इसकी काशी में स्थापना की जाएगी। देवी अन्नपूर्णा की प्राचीन मूर्ति लगभग 100 साल पहले वाराणसी के घाट से चोरी हो गई थी। अब उसे वापस भारत लाया जाएगा। मूर्ति को गलत तरीके से 100 वर्ष पहले कनाडा ले जाया गया था। यह मूर्ति कनाडा रेजिना विश्वविद्यालय की ऑर्ट गैलरी में मिली थी। तब कैनेडियन विश्वविद्यालय ने इस सांस्कृतिक चोरी को सुधारने का फैसला किया था।

 

 

वाराणसी की रानी मानी जाती हैं देवी अन्नपूर्णा-

मान्यताओं के अनुसार, देवी अन्नपूर्णा धान्य अर्थात अन्न की अधिष्ठात्री तथा वाराणसी की रानी हैं। इस मूर्ति के एक हाथ में चम्मच और दूसरे हाथ में खीर की कटोरी दिखती है। रिपोर्ट्स के अनुसार इस इस मूर्ति को करीब 100 साल पहले वाराणसी के एक मंदिर से चुराया गया था। तब से उसे यूनिवर्सिटी ऑफ रिजायना के मैकेंजी आर्ट गैलरी में रखा गया था।

 

 

गैलरी में रखी देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति पर दिव्या मेहरा नाम की एक कलाकार ने लोगों का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा था कि मूर्ति को गलत तरीके से 100 साल पहले भारत से कनाडा लाया गया था। इसके बाद विश्वविद्यालय ने मूर्ती को वापस भारत को लौटाने का फैसला किया था। कुछ दिन पहले ही विश्वविद्यालय के उप कुलपति ने कनाडा में भारतीय राजदूत के साथ एक वर्चुअल मुलाकात की और आधिकारिक तौर पर देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति उन्हें सौंप दी थी।

 

 

कब और कैसे पहुंची कनाडा-

दिव्या मेहरा, जिन्होंने मूर्ति की भारत वापसी में अहम भूमिका निभाई। उन्हें इसकी जानकारी इतिहासकार नॉर्मन मैकेंजी के स्थाई संग्रह से मिली थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत दौरे के दौरान साल 1913 में मैकेंजी की नजर देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति पर पड़ी थी। मैकेंजी ने इस मूर्ति को एक व्यक्ति की मदद से वाराणसी में गंगा किनारे बसे एक मंदिर से चुरा लिया था। मैकेंजी ने साल 1936 में इस मूर्ति की वसीयत कराई थी और संग्रहालय में शामिल कर लिया था।

 

 

 

 

 

 

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