जज्बा को सलाम : कोरोना वैक्सीन के मानव प्रयोग में शामिल हुए धनबाद के अंकित राजगढ़िया
AJ डेस्क: कोरोना की स्वदेशी वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल में शामिल होने वाले युवाओं के हौसले को देखकर नहीं लगता कि अब यह महामारी अधिक समय तक मानवता की दुश्मन बनी रह सकती है। क्योंकि इसे मात देने का बीड़ा एक बार फिर समाजसेवी युवाओं ने उठा लिया है। ऐसे ही एक युवा है धनबाद के अंकित राजगढ़िया। जिन्होंने स्वयं की परवाह किए बिना कोरोना वैक्सीन के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी। इसके साथ ही इन्हें झारखंड के पहले कोरोना वैक्सीन ट्रायल वोलेंटियर का गौरव भी प्राप्त हो गया है।
“कोरोना से जंग में मैं कैसे मदद कर सकता हूं। इस सवाल का जवाब ढूंढने में मेरा दिमाग़ काम नहीं कर रहा था। तो एक दिन बैठे-बैठे यूँ ही ख्याल आया, क्यों ना दिमाग़ की जगह शरीर से ही मदद करूँ। मुझे पता चला था कि पटना एम्स में तीसरे और अंतिम चरण के वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है, उसके लिए वॉलंटियर की ज़रूरत है। और मैंने इस ट्रायल के लिए अप्लाइ कर दिया।”
धनबाद के कतरास में जन्मे अंकित राजगढ़िया, उन चंद लोगों में से एक हैं, जिन्होंने ख़ुद ही वैक्सीन ट्रायल के लिए वॉलेंटियर किया है। कोरोना वैक्सीन जल्द से जल्द बने, ये पूरी दुनिया चाहती है। इसके प्रयास अमरीका, ब्रिटेन, चीन, भारत जैसे तमाम बड़े देश में चल रहे हैं। भारत मे भी स्वदेशी कोरोना वैक्सीन लाने की जोर शोर से तैयारी चल रही है। पर हर वैक्सीन के बनने के पहले उसका ह्यूमन ट्रायल जरूरी होता है। जिसमें जान जाने का भी खतरा बना रहता है। लेकिन देश हित में जान की परवाह किए बिना कुछ लोग ऐसे होते है जो इन वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल के खुद आगे आते है। उन्ही में से एक धनबाद के अंकित राजगढ़िया भी है।
देश की कोयला राजधानी धनबाद स्थित कतरास के समाजसेवी अंकित राजगढ़िया ने भी देशहित में अपना योगदान देते हुए पटना एम्स में तीसरे और अंतिम चरण के वेक्सीन ट्रायल में भाग लेकर झारखण्ड के पहले शख्स होने का गौरव हासिल किया है। इससे पहले पटना एम्स में कागजी प्रक्रिया को पूरा करते हुए अंकित राजगढ़िया ने सभी बातों में देशहित के साथ खड़े रहने की बात कही और योगदान दिया। पटना एम्स द्वारा दिये गए फॉर्म में सभी बातों को स्पष्ट रूप से बताया गया था कि इस वैक्सीन के ट्रायल से शरीर को नुकसान भी पहुंच सकता है। इसके बावजूद अंकित राजगढ़िया ने इन सभी बातों को दरकिनार करते हुए देश हित को सर्वोपरि माना।
उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी से दुनिया को निजात दिलाने में अपनी भूमिका साबित करने के लिए लॉक डाउन फेज एक के दौरान ही अपना मन बना लिया था। इसके लिए उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्वीट कर अपना शरीर देश हित मे न्योछावर करने की जानकारी भी दी थी। इसी दौरान उन्हें पटना एम्स में हैदराबाद की भारत बायोटेक कंपनी द्वारा कोरोना वैक्सीन के ट्रायल के लिए तीसरे और अंतिम चरण के लिए वोलेंटियर की आवश्यक्ता की जानकारी मिली। जिसके बाद उन्होंने अपने आप को इसके लिए प्रस्तुत कर दिया। उन्होंने बताया कि ट्रायल के दौरान खतरे को देखते हुए कम्पनी ने उनका 50 लाख रुपये का बीमा भी कराया है। उन्होंने बताया कि 28 दिन के बाद एक बार फिर कोरोना का वैक्सीन उन्हें लगाया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने युवाओं से अपील करते हुए कहा है कि देश हित में युवा आगे आकर देश और दुनियां को इस महामारी से निजात दिलाने में सरकार का सहयोग करे।
उन्होंने बताया कि आज देशहित में स्वदेशी वेक्सीन के ट्रायल में योगदान देकर खुद को सौभाग्यशाली मान रहा हूँ ओर उम्मीद करता हूँ कि यह स्वदेशी वैक्सीन अपने ट्रायल में सफल रहेगा और देश हित में जल्द सामने आएगा। इसके साथ ही यह वैक्सीन भारत ही नही, बल्कि विश्व भर के कोरोना ग्रषित देशो के लिए यह वैक्सीन उपलब्ध कराया जाएगा। अंकित राजगढ़िया के इस बहुमूल्य योगदान से उनके परिवार में उनकी माँ ,भाई और दोस्त सभी खुद को काफी गौरवान्वित महसूस कर रहे है।
बात दें कि किसी भी वैक्सीन के ट्रायल के कई फेज़ होते हैं। सबसे अंत में ह्यूमन ट्रायल किया जाता है। इसके लिए जरूरी है कि वो व्यक्ति जो खुद पर जिस बीमारी के वैक्सीन का ट्रायल करवा रहा हो उससे संक्रमित ना हो। यानि अगर कोरोना के वैक्सीन का ट्रायल हो रहा है तो वॉलेंटियर कोरोना संक्रमित नहीं हो सकते है। इसके साथ ही उसके शरीर में कोरोना के एंटीबॉडी भी नहीं होने चाहिए। इसका मतलब ये कि अगर वॉलेंटियर कोरोना संक्रमित रहा हो, और ठीक हो गया हो तो भी वो वैक्सीन ट्रायल के लिए वॉलेंटियर नहीं कर सकता है। ट्रायल के दौरान इस बात का भी ख्याल रखा जाता है कि केवल एक उम्र के लोग और एक मूल के लोग ही ना हों। महिला और पुरूष दोनों ट्रायल की प्रक्रिया में शामिल हो।
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