केंद्र पर आश्रित झारखण्ड का बजट, 50 हजार का कर्ज माफ, प्रचार पर 21 लाख खर्च- सहदेव

AJ डेस्क: भारतीय जनता पार्टी के धनबाद जिला कार्यालय में गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। जिसमें भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल सहदेव ने कहा कि यह बजट पूरी तरह से केंद्र पर आश्रित बजट पर पेश किया गया है। जिससे पता चलता है कि राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रही है। साथ ही केंद्र सरकार की सभी योजनाओं का नाम बदलकर चलाने का काम यहाँ की राज्य सरकार कर रही है।

 

 

उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि, स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, और ऊर्जा के क्षेत्र में बजट कम दिया गया। वहीं ऋण माफी योजना का जिक्र तक नहीं किया गया। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए सरकार को घेरते हुए कहा ‘उनका कहना है कि जामताड़ा एक किसान का 50 हजार रुपये का ऋण माफ किया गया लेकिन उसका ढिंढोरा पीटने के लिए सरकार की तरफ किए गए कार्यक्रम में 21 लाख रुपए सरकार ने खर्चा कर दिया।’ उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों के प्रति उदासीन दिख रही है। कृषि के क्षेत्र में 5500 करोड़ रुपये की बजट की आवश्यकता थी, उसको घटाकर 12 सौ करोड़ का कर दिया गया। वही 30 से 32 हजार किसानों के ऋण माफी की बात की गई थी, जबकि 12 लाख किसानों ने बैंक से लोन लिया था। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में महाजन से एक बड़ा तबका लोन लेता हैं, उनका भी लोन माफ करने का आश्वासन दिया गया था लेकिन इसके बारे में जिक्र तक नहीं किया गया।

 

 

प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शहदेव ने डीवीसी की बात करते हुए कहा कि धनबाद में डीवीसी का बिजली के क्षेत्र में मुख्य योगदान है पर उसके बकाया भुगतान का कोई प्रावधान नहीं किया गया। जबकि अपने बकाया राशि के भुगतान को लेकर डीवीसी हमेशा बिजली काट देती है। वहीं स्वास्थ्य की बात की जाए तो बीजेपी सरकार द्वारा 108 एंबुलेंस शुरू किया गया था। अब उसकी बुरी हालत हो गई है। उन्होंने नक्सली वारदातों पर बात करते हुए कहा कि इस सरकार में नक्सली वारदात काफी बढ़ी है। आज चाइबासा में हुए नक्सली हमले की निंदा करते हुए कहा की 15 महीनो की सरकार में नक्सली वारदात काफी बढ़ी है, जबकि यही नक्सली पहले की सरकार के कार्यकाल में दुबके हुए थे।

 

 

उन्होंने एक बार फिर हेमंत सोरेन सरकार द्वारा पेश की गई इस इस बार के बजट पर बात करते हुए कहा कि इस बजट में विधवा, विकलांग को भुगतान करने की कोई बात नही कही गई है। वहीं ग्रामीण को जोड़ने के लिए लाई गई योजना को भी यह सरकार अबतक धरातल पर नहीं उतार सकी है। सभी सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों को शहर से जोड़ने के लिए इस योजना की घोषणा तो की गई थी लेकिन उस योजना को धरातल पर कैसे उतारा जाए इसपर न तो अबतक कोई पहल की गई और न ही इस बजट में भी कोई चर्चा की गई। उद्योगों की अगर बात करें तो धनबाद में उद्योग के लिए कोई राहत नहीं दी गई। उन्होंने आगे कहा कि हेमंत सरकार बेरोजगारों के लिए चुनावी भाषण तो बहुत दिए लेकिन अब तक उसपे अमलीजामा कैसे पहनाया जाए इसपर न तो पहले और न ही इस बजट में कोई बात कही गई है। वहीं इस बजट में रोजगार के लिए कोई व्यवस्था नहीं दिखी और ना ही बेरोजगारी भत्ते का ही कोई जिक्र किया गया है। साथ ही संविदा कर्मियों के लिए भी कुछ नहीं किया गया है। कुल मिलाकर यह बजट पूरी तरह से केंद्र पर निर्भर बजट हैं।

 

 

 

 

 

 

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