बाघमारा कॉलेज के कर्मचारियों को नहीं मिला एक साल से वेतन

AJ डेस्क: धनबाद के बाघमारा प्रखंड में सरकार और विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त बाघमारा कॉलेज के शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मियों का वेतन पिछले एक साल से बकाया है। वेतन नहीं मिलने से इस कोरोना काल में शिक्षक और कर्मियों को भयंकर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि कॉलेज के खातें में पर्याप्त धन राशि है, लेकिन नियमों के पेच ने वेतन भुगतान में अड़ंगा डाल रखा है।

 

 

इसी वर्ष मई के पहले सप्ताह में झारखंड सरकार ने बाघमारा कॉलेज को अनुदान स्वरूप 60 लाख रुपये की धनराशि दिया है। वह राशि भी कॉलेज के खाता में यूं ही पड़ा है। जबकि सिर्फ अनुदान की राशि के निर्धारित अंश से ही शिक्षक और कर्मियों के पांच माह के वेतन का भुगतान सुनिश्चित हो जाता, लेकिन इसके लिए शासी निकाय यानि तदर्थ कमिटी का अनुमोदन जरूरी है। बैठक में ही अनुदान की निर्धारित राशि से वेतन भुगतान का निर्णय होना है। वर्तमान समय में वर्चुअल बैठक भी अन्य संस्थाओं में हो रही है। प्रशासनिक स्तर पर भी वर्चुअल बैठक की जा रही है। लेकिन यहां तो पिछले दो वित्तीय वर्ष का लेखा-जोखा की जांच भी अभी तक सुनिश्चित नहीं हो पाई है।

 

 

शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मी शासी निकाय (तदर्थ समिति) की बैठक की प्रतीक्षा में हैं। शिक्षक प्रतिनिधि विपिन बिहारी सिंह ने इस संबंध में बताया कि होली के समय शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मियों ने संयुक्त रूप से हस्ताक्षरयुक्त पत्र प्राचार्य को देकर कॉलेज के खाता में जमा निधि से वेतन के मद में भुगतान किए जाने की मांग की थी, लेकिन कोई नतीजा सामने नहीं आया।

 

 

शासी निकाय में अध्यक्ष के पद पर स्थानीय विधायक ढुलू महतो, एसडीएम सुरेंद्र कुमार, विश्वविद्यालय प्रतिनिधि डॉ. एलबी पालिवार, शिक्षक प्रतिनिधि विपिन बिहारी सिंह शामिल हैं। प्राचार्य सुनील कुमार से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि फिलहाल बीमार हैं। उन्होंने कुछ बोलने में असमर्थता जताई।

 

 

प्रभारी प्राचार्य डॉ. बिनोद कुमार सिंह ने कहा कि अनुदान की राशि भुगतान की लंबी प्रक्रिया है। फिलहाल कॉलेज के खाता से भुगतान के लिये लेखापाल को वेतन बनाकर लाने को कहा गया था, लेकिन वह नहीं लाया। कॉलेज बंद है तथा इसमें कोविड सेंटर चल रहा है।

 

 

विश्वविद्यालय प्रतिनिधि डॉ. एलबी पालिवार ने इस संबंध में कहा कि शासी निकाय की बैठक बुलाकर जल्द वेतन भुगतान कराया जाएगा। इसके लिए पहल की जा रही है।

 

 

 

 

 

 

 

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