लूट मची है लूट सके तो लूट लो, मगरमच्छ के साथ छुटभैये भी लगा रहे डुबकी

AJ डेस्क: कोयलांचल है यह। स्वभाविक है लूट-चोरी होगी तो कोयले की ही होगी। यह अलग बात है कि कोयले के अवैध कारोबार जगत के मगरमच्छ के आड़ में छुटभैये भी डुबकी लगा रहे हैं लेकिन यह छुटभैये कम्बल ओढ़ कर बड़ा खेल कर दे रहे हैं।

 

 

तोपचांची के वादियों में एकरामू पहाड़ के तलहटी में धनखेती के बीच रोज तीन से चार ट्रक अवैध कोयला का कारोबार कर ले रहा है। जिला की सीमा पर होने का पूरा फायदा वह उठा रहा है। दिन हो या रात छोटी बड़ी गाड़ियों से उसके ठिकाने पर निर्बाध चोरी का कोयला गिरते रहता है। फिर उसे ट्रक पर लोड कर जाली कागजात के सहारे बिहार और यू पी की मंडियों में भेज दिया जाता है।

 

बाघमारा पुलिस अनुमंडल के फुलारी टांड़ में सक्रिय कारू ने तो अपने घर के पिछवाड़े अवैध खदान ही खोलवा दिया है। इस खदान से दिन रात कोयला खनन होता है और माल वाहक वाहनों से दिन रात ढुलाई होते रहती है। कारू का इस खदान पर एकाधिपत्य वर्चस्व कायम है।

 

 

कोयला के अवैध कारोबार जगत का पुराना खिलाड़ी डब्लू एक बार फिर से सक्रिय हो गया है। उसका साथी बना है मुन्ना। डब्लू और मुन्ना का सिंडिकेट ब्लॉक 2 के डेको आउटसोर्सिंग और साइडिंग को अपना टारगेट बना रखा है। इस सिंडिकेट के द्वारा ब्लॉक 2 के इन स्थलों से दिन रात कोयले की ढुलाई करवा उसे खानु डीह के डिपो में जमा करवा फिर वहां से ट्रक के माध्यम से बाहर भेजा जाता है। डब्लू और मुन्ना के इस सिंडिकेट का रबर स्टाम्प संजय बना हुआ है। उसी तरह शांति से कम्बल ओढ़ कर बगैर लाइम लाइट में आए बरोरा के कालीपुर पौचरी में राजू बड़ा गुल खिला रहा है।

 

 

धनबाद पुलिस अनुमंडल में छोटा नाम-बड़ा काम के लिए पप्पू फेमस है। पप्पू अपने को पप्पू साबित करते हुए केंदुआडीह इलाके में क्षेत्र बदल बदल कर काले हीरे का काला खेल-खेल रहा है। पप्पू का कोई निश्चित ठिकाना नही होता और वह रोज रात में तीन से चार ट्रक कोयला का खेल खेलने में कामयाब रहता है। केंदुआ खटाल के पीछे भी गुपचुप तरीके से रात के अंधेरे में काला खेल खेला जा रहा है।

 

 

कोयलांचल में काला हीरा के काला खेल में दिग्जजों का नाम तो उछलते रहता है। लेकिन इसके अलावा एक ऐसा भी वर्ग है जो कम्बल ओढ़ कर घी पीता है। झरिया कोयलांचल में करपुरवा एक ऐसा ही नाम है जो सालों भर रोज दो तीन ट्रक कच्चा और पोड़ा कोयला का अवैध कारोबार करते रहता है। बालू गदा, घनु डीह, तीसरा, पहाड़ी क्षेत्र को करपुरवा अपना ठिकाना बनाए हुए है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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