तबादला के लिए प्रपंच किया था प्रोफेसर ने, 24 लाख के चेक की सत्यता पढ़ें

AJ डेस्क: मुजफ्फरपुर में नीतेश्वर सिंह कॉलेज के हिन्दी के प्रोफेसर डॉक्टर ललन कुमार द्वारा अपने वेतन मद का लगभग 24 लाख रुपए का चेक यूनिवर्सिटी को लौटाने का मामला झूठा निकला। इस मामले में जब पर्दाफाश होना सुरु हुआ तो एक के बाद एक चौंकानेवाले खुलासे हुए।

 

 

पहला खुलासा: प्रोफेसर ललन ने यूनिवर्सिटी को चेक की फोटो कॉपी दी थी और ओरिजनल चेक अपने पास रख लिए थे। मीडिया जब यूनिवर्सिटी से पता की तब जानकारी मिली की चेक तो उन्होंने जमा किया ही नही।

 

 

दूसरा खुलासा: प्रोफेसर के खाते में पैसे हैं ही नही। प्रोफेसर ललन ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के रेड क्रॉस शाखा का जो चेक यूनिवर्सिटी को लौटाने की बात कही थी उस खाते में 1000 (एक हजार ) रुपए भी नही हैं। यह पक्का है की प्रोफेसर ललन ने यूनिवर्सिटी पर दबाव बनाने के लिए यह झूठा प्रपंच रचा था।

 

 

तीसरा खुलासा: दरअसल प्रोफेसर ललन ने अपने झूठ को मीडिया के माध्यम से उछालकर अपने स्वार्थ की सिद्धि करनी चाही थी। जिसका पर्दाफाश हो गया।

 

 

 

 

 

 

यूनिवर्सिटी और कॉलेज की घनघोर बेइज्जती होने के बाद अब B U T A डैमेज कंट्रोल में लग गया है। बिहार यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसियेशन के नीतीश्वर सिंह कॉलेज इकाई ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित किया। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक तरफ तो प्रोफेसर ललन के आरोपों को सिरे से खारिज किया, पर दूसरी तरफ उनके स्थानांतरण की मांग को जायज बताया है।

 

 

अब सवाल उठता है की पूरे विश्व स्तर पर बिहार के शिक्षा व्यवस्था को बदनाम करनेवाले इस प्रोफेसर को क्या इतनी जानकारी नहीं थी की कोई भी आवेदन प्राचार्य के माध्यम से ही अग्रसारित होता है? और यदि इतनी जानकारी एक प्रोफेसर के पास नही है तो उनको प्रोफेसर बने रहने का हक है क्या? फिलहाल आज के प्रेस कांफ्रेंस में ललन कुमार के क्रियाकलाप की निंदा करते हुए उनकी भर्त्सना की गई है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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