प बंगाल : आदिवासी संगठनों का बारह घंटे बंद, नगाड़ा के साथ उतरे सड़क पर

AJ डेस्क: पश्चिम बंगाल में एक बार फिर आदिवासी समाज अपनी 12 सूत्री मांगों को लेकर एक साथ मुखर हो गए हैं। पश्चिम और पूर्व बर्दवान से लेकर पुरुलिया, बांकूड़ा और बिरभूम सहित पश्चिम मेदनीपुर के झाड़ग्राम स्थित राष्ट्रीय राज्य मार्ग पर सुबह 6 बजे से ही भारत जकात मांझी परगना महल के बैनर तले आदिवासी समाज की कई टोलियाँ अपने पारम्परिक हथियारों के साथ ढोल नगाड़े बजाकर प्रदर्शन कर रहे थे। हम बताते चलें की आदिवासी समाज ने अपनी 12 सूत्री मांगों को लेकर बुधवार को करीब 12 घंटे का बंद बुलाया था।

 

 

आदिवासी समाज द्वारा बुलाया गया यह बंद सरकार के लिये अपनी मांगों को मनवाने के लिये सिर्फ और सिर्फ एक चेतावनी है। आदिवासी समाज की अगर माने तो अगर सरकार ने उनकी मांगों को पूरा नही किया तो उनकी यह चेतावनी एक बड़े आंदोलन का रूप लेगी और उनका आंदोलन तब तक चलेगा जबतक उनकी मांगे पूरी नही हो जाती। अगर हम आदिवासी समाज की 12 सूत्री मांगों पर ध्यान दें तो उनकी मूल रूप से जो मांगे हैं वो बिरभूम जिले के देवचा पचामी में खुली खनन परियोजना को रद्द करना, पृथक संथाली सिक्षा बोर्ड का गठन करना, हर जिले मे संथाली माध्यम के स्कुल और कॉलेजों की स्थापना करवाना, प्रस्तावित वन संरक्षण नियम 2022 को रद्द करना सहित साड़ी और सरना धर्म कोर्ड लागु करने जैसे मांगे शामिल हैं। हम बताते चलें कि आदिवासी समाज द्वारा उनकी इन मांगों को सही दिशा और दशा दिलाने को लेकर आदिवासी समाज द्वारा अलग अलग बैनर तले गठित राजनीतिक संगठन राज्य और केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जाता रहा है। कभी सड़क तो कभी रेल खंड को बाधित कर आदिवासी समाज अपनी आवाजें बुलंद कर अपनी मांगों को पूरा करवाने का प्रयास करते रहे हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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