“लुची बाद में लूट”: राजधानी के छत्रछाया में निरंकुश रमेश लूट रहा “काला हीरा”

AJ डेस्क: जब सैंया भय कोतवाल तो डर काहे का—–। जानकार कहते हैं कि राजधानी में पदस्थापित वर्दी वाले एक पदाधिकारी का अप्रत्यक्ष रूप से रमेश को आशीर्वाद प्राप्त है। “दुबे जी” वर्दी वाले अधिकारी के नजदीकी कहे जाते हैं। दूबे जी यहां बिचौलिए के रूप में अहम भूमिका निभा रहे हैं। जब रांची का आशीर्वाद मिला हो तो लोकल या जिला मुख्यालय के हुक्मरान भला क्या कर सकते हैं।

 

 

निरसा के काले हीरे की लुटेरों की चर्चा हो और शीर्ष में रमेश का नाम नहीं आवे। ऐसा हो ही नहीं सकता। पुलिस रिकॉर्ड की बात करें तो वहां भी फाइल की शोभा बढ़ा रहे हैं रमेश बाबू। यह अलग बात है कि इसके बावजूद कानून के हाथ उसके गिरेबान तक नहीं ही पहुंचता है और न ही उसके काला साम्राज्य पर कोई कार्रवाई हो पाती है। कहते हैं ऊपर को सेट करने में रमेश को महारथ हासिल है।

 

निरसा पुलिस अनुमंडल के पंचेत थानांतर्गत “लुची बाद” बंद खदान में कोल कंपनियों के समानांतर व्यवस्था कर रमेश बेशकीमती कोकिंग कोल की लूट मचा रखा है।

 

 

जिला पुलिस, CISF या बीसीसीएल की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था लुची बाद के तरफ टेढ़ी नजर देखने से भी परहेज करते है। फिर जिसे दूबे जी और वर्दी वाले अधिकारी का वरदहस्त प्राप्त हो, उसे भला किस बात की चिंता।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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