“कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना” घाघ मुकेश की नजर आउट सोर्सिंग के कोयले पर
AJ डेस्क: काम तो करना ही है,यह फितरत में शामिल है। जब तक आउट सोर्सिंग का कोयला लाइनअप नहीं हो जाता, तब तक इसी स्टाइल में काम करते रहना है ताकि भविष्य के लिए पिच बनकर तैयार रहे।
इस घाघ खिलाड़ी की मंशा थी आउटसोर्सिंग से सीधे ट्रकों पर कोयला लोड कर उसे काला मंडी में पहुंचा दिया जाएगा, लेकिन फिलहाल इस घाघ खिलाड़ी का यह सपना पूरा होता नजर नहीं आ रहा। प्रतिदिन अस्सी से एक सौ ट्रक कोयला की हेरा फेरी किए जाने का सपने इस घाघ ने संजो रखा था, लेकिन अभी बमुश्किल चालीस से पचास ट्रक का ही काम हो पा रहा है।
मंशा पूरी नहीं होने कि स्थिति में दो नंबरी कोयला धंधा का मास्टर माइंड, घाघ कारोबारी इन दिनों बौखलाए हुए है, बौखलाहट में किसी को धमकाने, केस में फंसाने तक की धमकी देता चलता है। काला हीरा के काला खेल में सुरक्षा तंत्र से सेटिंग रखने वाले को कानून मुट्ठी में होने का भ्रम हो गया है।
