मर्माहत रविंद्र पांडे कहते हैं- “मुझे तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहाँ दम था”—-

AJ डेस्क: कहते है राजनीति के खेल में बड़े से बड़ा धुरंधर धूल चाट जाता है और इस खेल में शामिल हुआ नया खिलाड़ी भी कभी-कभी मैदान मार जाता है। कुछ ऐसे ही हाल गिरीडीह से पांच बार सांसद रहे राजनीति के धुरंधर रविंद्र पाण्डेय के साथ हुआ। उन्होंने कई बार विषम परिस्थितियों में भी भाजपा की नैया गिरीडीह से पार लगाई। लेकिन उनके सामने ही जन्मे, पले और बढ़े आजसु से वो टिकट के खेल में हार गए। अब वह कहते फिर रहे है “मुझें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहाँ दम था, मेरी कस्ती थी डूबी वहाँ जहां पानी कम था।”
रविंद्र पाण्डेय ने कहा है, ‘उनका दिल टूट गया है।’ भाई लाजमी भी है। गिरीडीह से 5 बार सांसद रहे। जनता के लिए 18-18 घंटे काम किया। पार्टी के लिए हमेशा समर्पित रहे और अब पार्टी ने यह कह कर उनका टिकट काट दिया की वो अब चुनाव जीतने का माद्दा नहीं रखते। इतना ही नहीं पार्टी ने यहाँ गठबन्धन धर्म निभाते हुए इस सीट को आजसु की झोली में डाल दिया। इसपर तमतमाए श्री पाण्डेय ने साफ शब्दों में कह दिया है, “मैं कोई साधू महात्मा नहीं हूँ की कोई भी आए और मुझसे आशीर्वाद ले कर चला जाए।” उन्होंने पार्टी पर अपनी भड़ास निकालते हुए आगे कहा, “मैने जनता और पार्टी के लिए अपने जीवन के 25 साल न्योछावर कर दिया लेकिन मुझे आज पार्टी ने क्या दिया? मैने दिल्ली में जाकर कोई मौज-मस्ती नहीं की। यदि मौज-मस्ती किया होता और टिकट कटता तो समझ सकता था।”
उन्होंने पार्टी आलाकमान पर आरोप लगाते हुए आगे कहा, “पार्टी ने झारखण्ड में गठबन्धन धर्म निभाने के लिए मेरी बलि चढ़ा दी।” उन्होंने कहा, “बाघ की बलि नहीं दी जाती। बलि हमेशा बकरे की ही दी जाती है। इसलिए पार्टी ने मुझें बकरा समझ मेरी बलि चढ़ा दी। वैसे भी राजनीति में मेरा कोई गॉड फादर नहीं हैं। मैं कमजोर हूं। शायद इसीलिए पार्टी ने मेरी बलि चढ़ा अपना गठबन्धन धर्म निभा लिया।
वहीं सूचनाएं तो यह भी मिल रही है कि श्री पाण्डेय पार्टी के खिलाफ जाकर गिरीडीह से लोकसभा चुनाव लड़ भी सकते है। वो भी झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का दामन थाम कर। कहा जा रहा है कि रविंद्र पाण्डेय इसके लिए झामुमो से अपनी नजदीकियां भी बढ़ा रहे हैं। बहरहाल सारे कयासों का जवाब तो फिलहाल भविष्य के गर्भ में छिपा है जो समय पर ही बाहर आएगा लेकिन एक सवाल यहाँ जरूर मुँह बाए खड़ा है, क्या भाजपा गिरीडीह से पांच बार सांसद रहे रविंद्र पाण्डेय को नाराज कर आगामी लोकसभा चुनाव में गिरीडीह सीट से जीत का छक्का लगा पाएगा?
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