VIDEO- घराना एक बंगला दो, राह हो गयी जुदा-जुदा, कहानी कुंती निवास और सिंह मेंशन की

AJ डेस्क: मजदूर के मसीहा या विधायक जी की चर्चा आज भी छेड़ेंगे तो कोयलांचल की जनता के आँखों के सामने स्वर्गीय सूर्यदेव सिंह का चेहरा ही आएगा।विधायक जी जो सभी को साथ लेकर चलने पर विश्वास करते थे, आज उनके आँखों के दो तारे अलग अलग राह पर चल पड़े हैं। इस घराने की एक पहचान “राजनीतिक घराने” के रूप में भी है। लेकिन विधायक जी के दो पुत्र अलग अलग विचारधारा से जुड़ गए और उनकी राजनीति की राह जुदा हो गयी।

 

 

पिछले 18 वर्षों से सिंह मेंशन पर भाजपा का झंडा लहरा रहा है। स्वर्गीय सूर्यदेव सिंह की पत्नी कुंती सिंह धनबाद के झरिया से भाजपा से दो बार विधायक रह चुकी हैं। अस्वस्थता के कारण जब कुंती सिंह चुनाव लड़ पाने से असमर्थ हो गयी तब उनके मंझले पुत्र संजीव सिंह ने राजनीति का बागडौर सम्भाल लिया। पिछले चुनाव में संजीव सिंह भाजपा के टिकट पर झरिया से चुनाव लड़े और विधायक बने।समय ने करवट बदला। नीरज सिंह हत्या कांड में विधायक संजीव सिंह पिछले दो वर्षों से जेल में बंद हैं।

 

 

समय प्रबल होता है। संजीव सिंह के अनुज सिद्धार्थ गौतम सत्ता और सरकार से सहयोग नहीं मिलने के कारण नाराज चल रहे थे। सिंह मेंशन घराना कोयलांचल के मजदूर राजनीति में सबसे मजबूत पकड़ भी रखता है। इनका जनता मजदूर संघ नामक मजदूर संगठन भी है। सिद्धार्थ गौतम जनता मजदूर संघ के प्लेटफॉर्म से मजदूर राजनीति का अच्छा अनुभव रखते हैं। सिद्धार्थ गौतम ने पूर्व में कहा भी था कि एक साजिश के तहत मेंशन का राजनीतिक पहचान खत्म करने का प्रयास जारी है। इन परिस्थितियों को देखते हुए सिद्धार्थ गौतम ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ही लोक सभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर डाली थी। सिद्धार्थ गौतम का यह भी कहना था कि हमारे विचारधारा अलग हैं और कहीं कोई मतभेद की बात नहीं है।

 

 

देखें वीडियो-

 

 

इधर लोक सभा चुनाव की घोषणा होने और प्रत्याशी के नाम की घोषणा होने के बाद पशुपति नाथ सिंह ने धनबाद जाकर अपने पार्टी के विधायक संजीव सिंह से मुलाकात की थी। उसके बाद विधायक ने कहा था कि वह भाजपा के विधायक हैं इसलिए लोक सभा में भाजपा के प्रत्याशी को ही वह अपना समर्थन देंगे। उसी समय से यहां अलग अलग कयास लगाया जाना शुरू हो गया था। कोयलांचल की राजनीतिक फिजां में इस बात की भी चर्चा होते रही कि अंत अंत तक सिद्धार्थ गौतम को चुनाव नहीं लड़ने से मना लिया जाएगा। लेकिन सिद्धार्थ गौतम ने नामांकन पत्र दाखिल करने की घोषणा कर इस चर्चा को भी विराम दे दिया। धनबाद जेल में बंद संजीव सिंह अब अपनी पत्नी रागिनी सिंह को भाजपा में शामिल करा पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा प्रमाणित कर रहे हैं।

 

 

इससे अलग अब कोयलांचल सहित पूरे झारखण्ड में “सिंह मेंशन” और “कुंती निवास” के जुदा हुए राजनीतिक राह पर चर्चा शुरू हो गयी है। सभी इस चर्चित घराने के राजनीतिक भविष्य की संभावना पर नजर लगाए हुए हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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