धनबाद संसदीय सीट: क्या भाजपा, भाजपा और भाजपा नीति के बीच होगी टक्कर ?

AJ डेस्क: धनबाद संसदीय सीट का चुनावी तस्वीर अब स्पष्ट होने लगा है। भाजपा प्रत्याशी पशुपति नाथ सिंह, निर्दलीय सिद्धार्थ गौतम और कांग्रेस के कीर्ति आजाद के बीच त्रिकोणीय टक्कर होने की तस्वीर बन रही है। यह तीनों भाजपा नीति से भलीभांति वाकिफ हैं, यहां शायद यह कहना अतिश्योक्ति भी नहीं होगा कि इन तीनों की चुनावी रणनीति में कहीं न कहीं भाजपा का पुट नजर आएगा, भले ही आज बदले हालात में कुछ प्रत्याशी अलग-अलग बैनर तले चुनाव लड़ रहे हों लेकिन उनकी मानसिकता इतनी जल्दी नहीं बदल सकती।

 

 

 

 

भाजपा के प्रत्याशी पशुपति नाथ सिंह तो भाजपा से ही अपनी राजनैतिक कैरियर की शुरुआत किये थे और अब तक पार्टी के साथ जुड़े रहे। हाँ, उन्होंने मजदूर राजनीति विधायक जी यानि सूर्यदेव सिंह के साथ की थी। धनबाद से पहली बार लोक सभा का चुनाव लड़ रहे कांग्रेस प्रत्याशी पुराने भाजपाई हैं। कांग्रेस प्रत्याशी कीर्ति आजाद इसके पहले बिहार के दरभंगा से भाजपा के सांसद रह चुके हैं। आजाद ने वर्षो भाजपा का झंडा ढोया है और भाजपा नीति पर काम करते हुए चुनाव भी लड़े हैं। राजनीति में महारथी कीर्ति आजाद के बारे में कहा जा सकता है कि वह अभी भी अपने नए (कांग्रेस) आशियाना के बारे में पूरी तरह भली भांति नहीं समझ पाए होंगे। इसके पहले भाजपा के फंडा पर चुनाव लड़ने का अनुभव उनके पास है। नई पार्टी,नई नीति और नया अखाडा (धनबाद) शायद उनके लिए परेशानी का सबब भी बन रहा हो।

 

 

 

 

कोयलांचल के चप्पा-चप्पा से वाकिफ, कम उम्र में ही चुनाव संचालन की जिम्मेवारी सम्भालने, विरासत में राजनीति मिलने और मजबूत ट्रेड यूनियन चलाने का अनुभव इस निर्दलीय प्रत्याशी सिद्धार्थ गौतम के पास है लेकिन पिछले 18 वर्षों से यह परिवार यानि सिंह मेंशन भी भाजपा नीति की ही राजनीति करते आ रहा है। ठीक है कि सिद्धार्थ गौतम पहली बार चुनाव लड़ रहे है लेकिन माँ, भाई और चाची के चुनाव में सक्रिय रहकर उन्होंने नजदीक से चुनाव को देखा है। यहां भी सिद्धार्थ गौतम की मानसिकता या चुनावी रणनीति कहीं न कहीं से भाजपा नीति से प्रभावित हो रही होगी।

 

 

 

 

धनबाद संसदीय सीट पर त्रिकोणीय टक्कर से इंकार नहीं किया जा सकता। भाजपा प्रत्याशी को छोड़ दें तो मैदान में रेस यह दोनों प्रत्याशी भी भाजपा के हर चुनावी फंडा से वाकिफ हैं। अब इससे भाजपा प्रत्याशी को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष लाभ होगा कि नुकसान यह आने वाला समय ही बताएगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

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