“सिंह मेंशन ब्रांड” के बदौलत दो राष्ट्रीय पार्टियों के बीच मजबूत बनी स्थिति

AJ डेस्क: एक प्रचलित भोजपुरी कहावत है- “घर फूटे गवाँर लुटे, गांव फूटे जवार लुटे”। धनबाद की वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में यह कहावत फिट बैठ रही है। भाजपा और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों के बीच कोयलांचल का “सिंह मेंशन ब्रांड” जगह बनाने में सफल होता जा रहा है। जानकार कहते हैं मेंशन एकजुट होता तो कुछ और ही नजारा देखने को मिलता। बावजूद इसके सिंह मेंशन भाजपा और कांग्रेस के साथ चर्चा में कायम है।

 

 

यूँ तो धनबाद संसदीय क्षेत्र से कुल 20 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। शायद ही कोई शख्स होगा जो सभी प्रत्याशी का नाम भी बता सके। चुनावी मैदान में भाजपा के पशुपति नाथ सिंह, कांग्रेस के कीर्ति आजाद और सिंह मेंशन के सिद्धार्थ गौतम ही चर्चित हो सके हैं। भाजपा प्रत्याशी पशुपति नाथ सिंह का लंबा राजनीतिक सफर रहा है। तीन बार विधायक रहने के बाद इस बार लोक सभा में भी हैट्रिक जड़ने का इरादा लेकर चुनावी अखाडा में उतरे हैं भाजपा प्रत्याशी।

 

 

वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी कीर्ति आजाद भी राजनीति के मंजे हुए खिलाडी हैं। इसके पहले वह बिहार के दरभंगा से भाजपा के ही सांसद रह चुके हैं। इन दो महारथियों के बीच मतदाताओं के जुबान पर सिंह मेंशन के सिद्धार्थ गौतम का नाम आता है। कोयलांचल की राजनीति में सिंह मेंशन एक ब्रांड ही है। यहां सिद्धार्थ गौतम पहली बार चुनावी अखाड़ा में उतरे हैं। झरिया विधान सभा क्षेत्र से सिद्धार्थ की माँ और भाई भाजपा के विधायक रहे हैं। उनके चुनाव मैनेजमेंट का अनुभव सिद्धार्थ गौतम के पास है। लोक सभा क्षेत्र का कोई तजुर्बा उनके पास नहीं है। फिर भी वह मेंशन ब्रांड के बदौलत चुनावी रेस में शामिल होने में सफल रहे हैं।

 

 

मतदान की तिथि ज्यों ज्यों नजदीक आते जा रही है राजनीतिक समीकरण तेजी से बन बिगड़ रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी के पास चुनाव लड़ने का अनुभव तो है। लेकिन धनबाद की राजनीति का अनुभव उनके पास नहीं है। पहली बार धनबाद के राजनीति अखाडा में कूदने के बाद अब उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कोई कुछ भी दावा कर ले पब्लिक से सब कुछ छिपती नहीं है। पार्टी के भीतर से ही कांग्रेस प्रत्याशी को संकट का सामना करना पड़ रहा है। वैसे ही मेंशन के प्रत्याशी को भी बाहरी नहीं घर के अंदर का विरोध झेलना पड़ रहा है।

 

 

सिद्धार्थ गौतम के भाई संजीव सिंह भाजपा के विधायक हैं। पार्टी धर्म निभाते हुए विधायक भाजपा प्रत्याशी को अपना समर्थन दे रहे हैं। जेल में रहते हुए अपनी पत्नी रागिनी सिंह को भाजपा में शामिल करा अब उन्हें भी पार्टी प्रत्याशी के प्रचार प्रसार की जिम्मेवारी सौंप दिए हैं। हालाँकि यह भी मेंशन ब्रांड का ही लाभ ले रहे हैं। मेंशन ब्रांड दो जगह नहीं बंट एकजुट रहता तो शायद कुछ और ही राजनीतिक दृश्य देखने को मिलता।

 

 

 

 

 

 

 

 

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