यह पब्लिक है, सब जानती है पब्लिक है: शेर ने दहाड़ मारा और बिल में दुबक गया, क्यों?

AJ डेस्क: यह राजनीति है। ऊंट कब किस करवट बैठ जाएगा, शायद यह अनुमान लगाया भी जा सकता है लेकिन राजनीति में कब राज की नीति किधर मुड़ जाएगी, यह बताना सबके बूते की बात नहीं है। ऐसा ही एक वाक्या धनबाद संसदीय क्षेत्र में हुआ है।

 

 

“ऊँची दुकान फीका पकवान” कहावत को यहां धनबाद के राजनीतिक पिच पर चरितार्थ किया गया है। मैं फलां हूँ। फलां परिवार है मेरा आदि आदि। कोयलांचल की राजनीति में एक उम्मीद की किरण जगी। एक जुझारू, कर्मठ विकल्प मिलता नजर आया। इस नए खिलाडी के समर्थन में हवा बह उठी। हवा कहीं आंधी न बन जाये, इसकी चिंता जरूर पुराने खिलाडियों को सताने लगी थी। पुराने अनुभवी खिलाड़ी ने भी अपना दाव चल दिया। बालू के ढेर पर खड़ा घराना दो फांक हो गया। वैसे इसकी नींव पहले ही रखी जा चुकी थी। बस, आँख खोदने का बहाना चाहिए था रोने के लिए। अब यह शेर मरता क्या न करता वाली स्थिति में आ गया। घर के दहलीज से बाहर पैर नहीं रखने वाली महिला एक राष्ट्रीय पार्टी के दिग्गज नेताओं के साथ मंच साझा करने लगी और शेर का नाम लिए बगैर उसके खिलाफ वोट डालने की अपील भी करने लगी।

 

 

फिर भी शेर तो शेर था। उसने कोशिश किया, अंतिम दौर तक पिच पर डटे रहने का। रन बने न बने आउट कहलाने से बेहतर होगा नाबाद कहलाना। घराना, पूर्वज के नाम पर और दमखम वाला खिलाड़ी के भ्रम में ही शुभ चिंतको का एक वर्ग साथ छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। इस खिलाड़ी के लिए यह सब शुभ चिंतक गले की हड्डी बनते जा रहे थे। यह बेचारा कई कारणों से धीरे से बैक फुट पर जाना चाह रहा था और लोग हैं कि अनजाने में ही सही उसे वापस पिच पर ही धकेले जा रहे थे। आखिर शेर तो शेर ही है, घराना से भी कई दाव पेंच सीखा है।उसने ऐसा किया कि मैदान भी नहीं छोड़ा, रन भी बटोरने की कोशिश नहीं की, आउट भी नहीं हुआ और नाबाद भी कहला गया। अब इसका इम्पैक्ट भविष्य में क्या पड़ेगा, यह भविष्य में ही सोचा भी जाएगा।

 

 

हाँ, इस खेल के एक विरोधी खिलाडी ने पहले ही अनल ज्योति से कहा था कि दो खिलाडी मिलकर मेरे खिलाफ खेल रहे हैं। हालाँकि अनल ज्योति के पास वह वीडियो आज भी उपलब्ध है लेकिन खेल खेल की ही भावना से खेलनी चाहिए, इसे मानकर हम वीडियो दोबारा नही दिखाना चाहते।

हाँ, यह अलग बात है कि कोयलांचल से लेकर इस्पातन्चल तक इस बात की समीक्षा अवश्य हो रही है कि दहाड़ने वाला आखिर में किन परिस्थितियों में बिल में दुबक गया?

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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