कोयला के अवैध कारोबार में उलझी तंत्र नहीं खोज पा रही एक इंसान को

AJ डेस्क: सिंघम के क्षेत्र से है किसी की मजाल जो बगैर आशीर्वाद के राष्ट्रीय सम्पति को हाथ लगा दे। किसी ने कोशिश की भी तो इस कड़क अधिकारी का नेटवर्क इतना मजबूत है कि उससे बच पाना मुश्किल है। राजधानी के राजनैतिक गलियारे में गहरी पैठ है इसलिए वह कहते हैं- मैं चाहे जो करूँ-मेरी मर्जी। वहीं इन्ही सिंघम या अंग्रेज के जमाने के जेलर के राज में एक इंसान 7 मई से ही लापता है। परिजनों का रोते बिलखते दिन गुजर रहा है, हर पल किसी अनहोनी की आशंका से सांस अटके रह रही है। आर्थिक अपराधियों से रिश्ता बना चुकी तंत्र के कानों तक पीड़ित परिवार की चीत्कार पहुंच ही नही पा रही।

 

 

झरिया के बस्ता कोला से 7 मई के सुबह से राणा सिंह लापता हैं। राणा सिंह अपनी बाइक से पैसे की वसूली के लिए निकलते हैं जो आज तक लौट कर घर वापस नहीं आए। उनका मोबाइल भी स्विच ऑफ हो गया। पीड़ित परिवार जिला के वरीय पुलिस अधिकारियों के चौखट पर भी जाकर अपनी फरियाद रख चुकी है। मिला क्या- ढाक के तीन पात। हताश निराश परिवार अब ईश्वर भरोसे जिंदगी काट रही है। लोहा, कोयला के अवैध कारोबार क्षेत्र में चरम पर फल फूल रहा है। रक्षक तंत्र को अभी उसके लेखा जोखा से फुर्सत मिले तब न वह किसी जिंदगी और परिवार की चिंता कर पाए।

 

 

इस बीच भूत गढ़िया के एक पोखर से लावारिस मोटर साईकिल बरामद होती है। बोर्रागढ़ पुलिस बाइक को कब्जे में लेकर उसे थाना में रखवा देती है। उसके आगे पड़ताल की जरूरत पुलिस नहीं समझती। एक निजी चैनल वाले ने जब बाइक बरामदगी की खबर बनायी, तब इस बात का खुलासा हुआ कि यह बाइक लापता राणा सिंह का है। वाह रे सजग, सतर्क एवम चुस्त पुलिस और तारीफे काबिल उसकी कार्यशैली। सूत्रों ने बताया कि बाइक का खुलासा होने के बाद फिर से उस तालाब को खंगाला गया लेकिन वहां कुछ मिला नहीं। यहां बता दें कि पुलिस ने 12 मई को बाइक बरामद किया था और 16 मई को मीडिया के कारण उक्त बाइक राणा सिंह का होने की पुष्टि हो पाई थी। आम आवाम को कोयला, लोहा के वैध, अवैध कारोबार, तंत्र की काली कमाई से कोई लेना देना नही है। पीड़ित परिवार 7 मई से लापता घर के मुखिया की सकुशल वापसी की बाट जोह रही है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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