बारिश के ट्रेलर ने ही हिलाकर रख दिया बिजली व्यवस्था को, बड़े इलाके में 20 घण्टे से अँधेरा
AJ डेस्क: चौबीस घण्टे निर्बाध बिजली की आपूर्ति का सरकारी घोषणा महज ढकोसला लगता है। पोल, तार और ट्रांसफार्मर बदल देने मात्र से ही बिजली आपूर्ति सामान्य नही हो सकती। जब तक विभागीय सरंचना में व्यापक सुधार नही होगा, लूट खसोट की प्रवृति पर अंकुश नही लग जाएगा और अधिकारियो में जिम्मेवारी का अहसास नही होगा, लोग बिजली के लिए त्राहि त्राहि करते रहेंगे। और जनता की आवाज इनके द्वारा नही सुने जाने पर विधायक को बार बार राजधानी जाकर मुख्यमंत्री को ही बिजली संकट के बारे में बताना होगा।

यह अजीब विडम्बना है। क्षेत्र के बड़े हिस्से में घण्टों बिजली न हो और वहां के कनीय अभियंता को इसकी जानकारी तक न हो। बिजली संकट से त्रस्त उपभोक्ता जब थक हार कर कनीय अभियंता से दुखड़ा सुनाते हैं तो जनाब अधिकारी का जवाब होता है- सब ठीक है, बिजली चालू हो चुकी है।अभियंता के इस जवाब के बाद बिजली संकट झेल रहे उपभोक्ता के पास सिवाय मायूसी के कुछ नही बच पाती। वैसे कनीय अभियंता फोन ही रिसीव कर लें तो यह बड़ी बात हो जाती है।शुक्रवार को धनबाद में मौसम ने करवट क्या बदला, बिजली व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया।

मरम्मत, नवीकरण, मेंटनेंस आदि शब्दो का इस्तेमाल कर महीनों से दिन दिन भर लोड शेडिंग लिया जाता रहा है। लेकिन उपभोक्ताओं को राहत नही मिल सकी। मानसून सर पर है। तेज हवा के साथ मूसलाधार बारिश से प्रायः सामना होगा ही। यहां सवाल उठने लगा है कि एक दिन की बारिश में ही जब बिजली विभाग का इंतजाम कागज की तरह गल गया तो चार महीने का मानसून यह कैसे झेल पाएगा। शुक्रवार के दोपहर में हुई बारिश से सरायढेला का बड़ा हिस्सा अंधकार की आगोश में समा गया।मिस्त्री पर पूरी तरह निर्भर करने वाले कनीय अभियंता इस संकट से अनभिज्ञ थे। रात में तो उनका कहना था कि बिजली आपूर्ति सामान्य है। फिर भी गड़बड़ी है तो देखवा लेता हूँ। फिर सुबह जब इस बाबत पूछा जाता है तो कहते हैं- देखता हूँ बिजली ट्रिप क्यों कर रहा है। अरे जनाब बिजली आपूर्ति ही नही हो रही तो ट्रिप किये जाने की बात कहां से आ रही है।
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