झूठ या सच: मुख्यमंत्री बिजली को लेकर क्या रियली गम्भीर हैं?

AJ डेस्क: सूबे के सुदूर ग्रामीण इलाकों के घर घर तक बिजली पहुंचाने का संकल्प केंद्र और राज्य सरकार लिए हुए है। 24 घण्टे बिजली की सुविधा पाने वाले यह हुक्मरान क्या जाने कि उनकी व्यवस्था कागज की ही तरह है। बारिश के एक झोंके में ही वह गल जाती है फिर 20-20 घण्टे तक बिजली रानी दर्शन ही नही देती। शुक्रवार के दोपहर बाद हुई बारिश ने धनबाद शहर के बड़े इलाके में ब्लैक आउट कर रखा है। प्रभावित क्षेत्र में पूरी रात बिजली आपूर्ति ठप्प रही।

 

 

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मेंटेनेंस, तार बदलने, पोल बदलने के नाम पर पूरी गर्मी प्रतिदिन विभाग द्वारा घण्टों लोड शेडिंग लिया जाता रहा। त्रस्त जनता यह सोच खुद को सांत्वना देते रही कि चलो आने वाले समय में बिजली संकट का सामना नही करना पड़ेगा। बेचारी जनता को यह कहाँ मालूम कि जिस तरह सरकार कागज पर ही सारी योजना दौड़ा रही है, धरातल पर भी लगभग वैसा ही हालत है। थोड़ी सी हवा बही कि नही, बारिश के एक झोंके के बाद ही बिजली आपूर्ति व्यवस्था को ध्वस्त हो जाना है। बिजली की तारें बारिश के पानी में कागज की तरह गल कर गिर पड़ती हैं।

 

 

शुक्रवार को दोपहर बाद हुई बारिश के बाद सरायढेला क्षेत्र के बड़े हिस्से में पूरी रात ब्लैक आउट की स्थिति बनी रही। बिजली लाइन में आयी गड़बड़ी को ही खोजने में विभाग के लोगों का पसीना छूटता रहा। शुक्रवार को ही तार बदलने आदि आदि काम के नाम पर घण्टों लाइन काटा गया। उसके बाद बारिश ने रही सही कसर पूरा कर दिया। सरायढेला क्षेत्र के लिए कल का दिन ब्लैक फ्राइडे साबित हुआ। शुक्रवार से गयी बिजली शनिवार के सुबह नौ बजे तक बहाल नही हो पाई है।

 

 

कुछ यही हाल एशिया की सबसे बड़ी श्रमिक नगर कहे जाने वाली भूली नगर का है। गर्मी के बीच यहाँ का ट्रांसफार्मर जल गया था। लोगों ने अपनी परेशानी विधायक जी को सुनाई। विधायक जी ने भी अपने वोटरों की परेशानी को समझते हुए तत्काल ट्रांफार्मर भी लगवा दिया। इस भीषण गर्मी में करीब 5 दिनों की प्रचंड गर्मी झेलने के बाद भूली वासियों को बिजली रानी के दर्शन हुए। लोगों ने राहत की सांस ली। उन्हें लगा की शायद अब बिजकी संकट से निजात मिल जाएगा। लेकिन ये क्या ट्रांसफार्मर लगने के बावजूद यहाँ बिजली रानी के दर्शन भगवान के दर्शन करने जितना ही कठिन हो गया है। लोगों की माने तो ट्रांसफार्मर जलने से पहले ही बिजली रानी ठीक थी, कभी कभार कम से कम आकर रूकती तो थी लेकिन अब तो वो आना ही नहीं चाहती। अब भला हम इसके लिए किसके पास अपनी फरियाद लेकर जाए।

 

 

गर्मी से त्रस्त उपभोक्ता यदि बारिश की दुआ करते हैं तो उन्हें जबरदस्त बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है। बारिश की कामना नही करें तो गर्मी और बिजली संकट दोनों से त्रस्त होना होगा। जनता करे भी तो क्या करे।

 

 

मुख्यमंत्री जी, केवल फरमान जारी कर देने से बिजली संकट दूर नही होने वाला। बिजली संकट से निजात पाने के लिए या निर्बाध बिजली देने का संकल्प पूरा करने के लिए विभाग के कार्य संस्कृति, संसाधन में सुधार लाना होगा। अधिकारियों की जिम्मेवारी तय करनी होगी। अनुशासन लागू करना होगा। साथ ही सभी के दिल में विभागीय कार्रवाई का भय बैठाना होगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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