सरायकेला मॉब लीचिंग प्रकरण: राजनैतिक मुद्दा बनाने का खेल शुरू

AJ डेस्क: झारखंड के सरायकेला में मॉब लिंचिंग का मामला हमने आपकों दिखाया था। जिसमें कथित रूप से चोर की भीड़ ने पिटाई की, जिसके बाद उसकी मौत पुलिस कस्टडी में इलाज के दौरन हो गई। इस मामले का वीडियो जब वायरल हुआ तो पुलिस, प्रशासन और सरकार की आंखे खुली है। जबकि विपक्ष इस मुद्दे को बड़ा राजनीतिक हथियार बनाने में जुटा है। हालांकि, लोगों के मन में एक ही सवाल है कि इसके लिए जिम्मेवार कौन है।

 

 

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सरायकेला में हुए मॉब लिंचिंग के मामले में एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र से लेकर राज्य सरकार को जिम्मेवार ठहराया है। उनका कहना है कि मोदी सरकार मॉब लिंचिंग के मामले को रोकने में असफल रही है। उनकी सरकार में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहे हैं। वहीं, राज्य सरकार पर भी सरायकेला मामले को लेकर निशाना साधा।

 

 

वहीं, झारखंड सरकार के मंत्री सीपी सिंह ने विपक्ष के आरोपों को लेकर कहा कि उनकी आदत है कि किसी भी मामले में बिना जानें और समझे कोई भी आरोप लगा देते हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष में कट कॉपी पेस्ट का ट्रेंड चला हुआ है। अगर कोई भी मामला होता है तो आरएसएस, बीजेपी, बजरंग दल या हिंदू परिषद् का नाम चिपका दिया जाता है। वहीं, उन्होंने सरायकेल मामले में सफाई देते हुए कहा कि इस मामले की जांच होगी और जो भी इसमें दोषी पाएं जाएंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी।

 

 

आपको बता दें कि, सरायकेला मामले में अब तक आई खबरों के मुताबिक इसमें पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है। पुलिस की लापरवाही से ही कथित रूप से चोर आरोपी की मौत हो गई वहीं, इस मामले में आरोपी भीड़ पर भी कार्रवाई नहीं की जा सकी।

 

 

गौरतलब है कि 17 जून को ही कथित रूप से चोर की भीड़ ने पिटाई की थी। जिसके बाद 18 घंटे बाद पुलिस को सौंप दिया गया। वहीं, पुलिस ने इस मामले में किसी तरह की कार्रवाई नहीं की। जबकि, अब भीड़ की पिटाई का वीडियो वायरल होने पर यह मामला सामने आया। वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस और प्रशासन की नींद खुली और सरकार ने आनन-फानन में कार्रवाई की है।

 

 

पुलिस ने इलाके के ओपी प्रभारी को सस्पेंड कर दिया है। वहीं, जिला पुलिस की लापरवाही के बाद अब मामले को डीआईजी स्तर से देखा जा रहा है और एसआईटी का गठन किया गया है। बताया जा रहा है कि पुलिस ने अभी दो लोगों को गिरफ्तार किया है। माना जा रहा है कि गिरफ्तार लोगों से अहम जानकारी हासिल होगी।

 

 

बहरहाल, सरायकेला में जो घटना हुई है वह सिस्टम के लिए शर्मसार करने वाली घटना है। जिसमें पुलिस को देर से जानकारी मिली और फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। जबकि सरकार हमेशा से मॉब लिंचिंग के मामले को रोकने का दावा करती है लेकिन एक के बाद एक घटनाएं सामने आती ही जाती है। इससे पहले भी रामगढ़, लातेहार और सरायकेला में ही घटनाएं हो चुकी है। जिसके बावजूद पुलिस और प्रसाशन इसे रोकने में असफल साबित हो रही है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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