मजदूर हित और जनता की सुरक्षा की अनेकों लड़ाई लड़ी “सूर्यदेव सिंह” ने (पार्ट- 05)

AJ डेस्क: कोयलांचल में अलग-अलग विचारधारा की राजनीति करने वाले नेता भी सक्रिय थे। कोई बाहरी-भीतरी की हवा देकर माहौल बिगाड़ने का प्रयास करता तो कोई मजदूरों का शोषण करने की राजनीति करता। सूर्यदेव सिंह एक साथ मजदूर और जनहित में कई मोर्चा पर लड़ाई लड़ते रहे। शायद यही बड़ी वजह थी कि कम समय में ही सूर्यदेव सिंह न सिर्फ लोकप्रिय हो गए बल्कि जन-जन के नेता भी बन गए।

 

 

बात सत्तर के दशक की है। कोयला खदानें प्राइवेट हाथों में थीं। फिर यह राष्ट्रीयकरण के तरफ भी बढ़ चला था। कई नेता अपने अपने क्षेत्र में वर्चस्व जमाने के लिए संघर्षरत थे। सबका अपना फंडा था तो सूर्यदेव सिंह का एक ही फंडा था कि मजदूर, व्यापारी और अपने लोगों का न तो शोषण होने देंगे और न ही कोई उन्हें दबा पाएगा। जानकार बताते हैं कि उस समय इन्ही वैचारिक मतभेदों के कारण सूर्यदेव सिंह का लाल झंडा के ए के राय और एस पी राय के साथ भिड़ंत होते रहती थी।

 

 

 

 

झरिया कोयलांचल में बड़े ही तेजी से सूर्यदेव सिंह अपनी गहरी पैठ बनाए जा रहे थे। उन्होंने “जे पी आंदोलन” में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया, जेल भी गए। उसके बाद “जनता पार्टी” के टिकट पर उन्होंने विधान सभा का चुनाव लड़ा, जीत भी गए और ताजिंदगी झरिया के विधायक रहे। मजदूरों की आवाज बुलंद करने के लिए सूर्यदेव सिंह ने “जनता मजदूर संघ” नामक श्रमिक संगठन की स्थापना की।

 

 

 

 

राजनीति के क्षितिज पर भी तेजी से चमकने लगे विधायक जी। विधायक जी के नाम से पहचान बन गयी सूर्यदेव सिंह की। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के काफी नजदीकी और विश्वसनीय लोगों में सूर्यदेव सिंह का नाम शामिल हो चुका था। चंद्रशेखर जी भी सार्वजनिक मंच से अपने और सूर्यदेव सिंह के बीच रिश्ता होने की बात स्वीकारते थे। इसके बाद विधायक जी ने कभी पीछे मुड़कर नही देखा।

 

 

 

 

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