महा गठबंधन: ‘कांग्रेस तेजस्वी को मुख्यमंत्री का चेहरा मान ले’ तभी जीत मिलेगी

AJ डेस्क: बिहार में गठबंधनों के बीच सीटों पर संग्राम जारी है। बिहार विधनसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही राजनीतिक पार्टियों पर सीट बंटवारे का दबाव बढ़ गया है। इनपर उम्‍मीदवार तय करने का भी काफी दबाव है। महागठबंधन में भी अभी तक सीट बंटवारे पर अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका है। इस बीच राजद ने कांग्रेस से कहा है कि वह बिना देर किए बिहार विधानसभा चुनाव के लिए विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का चेहरा मान ले। क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर हम सब राहुल गांधी के चेहरे पर लोकसभा का चुनाव लड़े थे। अगर अवसर मिलता तो राहुल गांधी की अगुआई में ही सरकार बनती। मुख्‍यमंत्री का चेहरा घोषित कर महागठबंधन चुनाव में गया तो जीत मिलेगी।

 

 

राजद प्रवक्‍ता ने कांग्रेस को बड़ा दिल दिखाने की भी सलाह दी है और कहा कि यदि आपके पास जिताऊ चेहरा नहीं हैं तो अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने का कोई मतलब नहीं है। राजद की ओर कांग्रेस को 58 सीटों के अलावा वाल्मीकिनगर लोकसभा क्षेत्र का उप चुनाव लड़ने का ऑफर दिया गया है। हालांकि कांग्रेस ने भी दो टूक कह दिया है कि उसे राजद का प्रस्‍ताव स्‍वीकार नहीं है।

 

 

पार्टी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि इससे पहले कांग्रेस झारखंड में हेमंत सोरेन के चेहरे पर चुनाव लड़ चुकी है। चुनाव पूर्व सीएम फेस की घोषणा होने के चलते झारखंड में सरकार बन गई। यह बिहार में भी होने जा रहा है।

 

 

राजद प्रवक्‍ता ने कहा है कि लोग बदलाव का मन बना चुके हैं। तेजस्वी के चेहरे को स्वीकृति मिल चुकी है। उन्होंने कहा कि राजद, कांग्रेस और वामपंथी पार्टियां एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगी। सरकार भी बनेगी। हकीकत सबको पता है, किसके पास क्या वोट और जनता का समर्थन है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अधिक सीटों पर चुनाव लडऩे का कोई मतलब नहीं है, जब आपके पास जिताऊ चेहरा न हो। तिवारी ने कहा कि कांग्रेस विधानसभा की 58 सीटों के अलावा वाल्मीकिनगर लोकसभा क्षेत्र का उप चुनाव लड़े। इस बात का ख्याल रखे कि राजद के साथ उसका पुराना गठबंधन है।

 

 

क्या कहा कांग्रेस ने-

इधर, कांग्रेस को भी राजद के प्रस्‍ताव से इंकार है। प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महासचिव शक्ति सिंह गोहिल ने दो टूक कहा है कि मीडिया में दिए जा रहे ऐसे प्रस्‍तावों का मतलब नहीं है। ऐसे मुद्दो पर मीडिया में बात नहीं होती। दोनों दलों के प्रमुख नेताओं के बीच ही बातचीत और फैसला हो सकता है।

 

 

 

 

 

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