तनिष्क ऐड मामला: थम नहीं रहा विवाद, गुजरात में स्टोर मालिक से माफीनामा लिखवाया

AJ डेस्क: जानी-मानी आभूषण विक्रेता कंपनी तनिष्क के विज्ञापन पर विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। गुजरात के कच्छ जिले में तनिष्क के एक स्टोर से माफीनामा लिखवाने का मामला सामने आया है। मामले में कच्छ के पुलिस अधीक्षक ने बयान दिया है। उन्होंने स्टोर पर हमले की मीडिया रिपोर्टों को गलत बताया है। हालांकि उन्होंने स्टोर के मालिक से माफीनामा लिखवाने की बात को सही बताया है।

 

 

तनिष्क के स्टोर पर हमले की मीडिया रिपोर्टों को गलत बताते हुए कच्छ (पूर्व) के पुलिस अधीक्षक मयूर पाटील ने कहा कि गत 12 अक्टूबर को गांधीधाम स्थित तनिष्क के स्टोर पर दो लोग आए थे। इन दो लोगों ने स्टोर मैनेजर से गुजराती में माफीनामा लिखने की मांग की। दुकान के मालिक ने उनकी मांग पूरी कर दी लेकिन उसे कच्छ से धमकियां मिल रही हैं।

 

 

विज्ञापन पर विवाद एवं विरोध बढ़ने के बाद तनिष्क ने यूट्यूब सहित सोशल मीडिया से अपना विज्ञापन हटा लिया है। तनिष्क की ओर से यह विज्ञापन पिछले सप्ताह जारी किया गया। विज्ञापन सामने आने के बाद कुछ लोगों ने इसे ‘लव जिहाद’ का बढ़ावा देने का आरोप लगाया। विज्ञापन के बढ़ते विरोध के साथ-साथ ट्विटर पर तनिष्क के बहिष्कार का ट्रेंड भी चलने लगा।

 

 

तनिष्क को ट्रोल किए जाने पर कांग्रेस नेता शशि थरूर और लेखक चेतन भगत ने कहा कि यह ‘आइडिया ऑफ इंडिया’ सोच के खिलाफ है। तनिष्क ने सोमवार रात अपने ऑफिसियल अकाउंट से इस विज्ञापन को हटा लिया। कंपनी ने मंगलवार को इस विवाद पर एक बयान भी जारी किया।

 

 

थरूर ने किया विज्ञापन का बचाव-

कांग्रेस नेता थरूर ने अपने एक ट्वीट में कहा, ‘अपने विज्ञापन के जरिए हिंदू-मुस्लिम एकता को खूबसूरती के साथ दिखाने के लिए कट्टरवादी हिंदुओं ने तनिष्क ज्वैलरी का बहिष्कार करने की मुहिम चलाई है। हिंदू मुस्लिम की ‘एकत्वम’ से यदि उन्हें इतनी चिढ़ है तो वे दुनिया के लिए सबसे बड़े हिंदू-मुस्लिम की एकता के प्रतीक इंडिया का विरोध क्यों नहीं करते?’

 

 

विज्ञापन में गोदभराई की रस्म दिखाई-

दरअसल, इस विज्ञापन नें एक अंतरधार्मिक शादी के बाद गोदभराई की रस्म दिखाया गया है। विज्ञापन के वीडियो में युवा महिला एक बूढ़ी औरत जो उसकी सास मालूम होती है, उससे कहती है, ‘आपके घरों में यह रस्म तो नहीं होती।’ इस पर सास कहती है, ‘क्या हर घर में लड़कियों को खुश करने की परंपरा नहीं होती है।’

 

 

 

 

 

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