लोजपा में झटका का खेल : अलग थलग पड़े चिराग ने 5 सांसदों को किया निष्कासित

AJ डेस्क: लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में फूट पड़ गई है। पहले 6 में से 5 विधायकों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान की जगह लोकसभा में उनके चाचा पशुपति कुमार पारस नेता चुना और अब चिराग पासवान को लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है। उनकी जगह सूरजभान सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। पार्टी ने उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए चुनाव कराने का भी प्रभार दिया है। इस तरह कहा जा सकता है कि चिराग पासवान अपने पिता रामविलास पासवान की बनाई हुई पार्टी में ही अलग पड़ गए हैं।

 

 

दिवंगत राम विलास पासवान के छोटे भाई पशुपति कुमार पारस को सोमवार को लोकसभा में पासवान के बेटे चिराग के स्थान पर पार्टी के नेता के रूप में मान्यता दी गई। लोजपा के छह में से पांच सांसदों ने रविवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात कर उन्हें एक पत्र सौंपा था जिसमें चिराग के स्थान पर पारस को पार्टी का नेता नियुक्त करने का अनुरोध किया गया था।

 

 

 

 

 

राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने की वर्चुअल बैठक-

जानकारी के मुताबिक, वर्चुअल कार्यकारिणी की बैठक में चिराग पासवान राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर मौजूद थे। पार्टी के सभी पदाधिकारी मौजूद थे। साथ ही कई राज्यों के अध्यक्ष भी इस बैठक में मौजूद थे। LJP चिराग गुट ने यह तय किया है कि जिन 5 सांसदों ने बगावत की है, उन्हें हटाया जाता है। बाकी सभी लोग संगठन में काम करते रहेंगे और संगठन को मजबूत करेंगे।

 

इस दौरान चिराग पासवान ने कहा उनका बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट कार्यक्रम चलता रहेगा। बिहार सरकार के खिलाफ वह अपने आंदोलन को चलाते रहेंगे।

 

 

 

 

 

चाचा पशुपति पारस ने की बैठक-

इससे पहले चिराग के चाचा पशुपति पारस ने अपने पांचों सांसदों के साथ राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक करके चिराग पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुक्त कर दिया। पशुपति पारस का दावा है LJP उनकी पार्टी है और वह इस पार्टी के संगठनकर्ता है। सारे सांसदों ने उन्हें संसदीय दल का नेता चुना है। इस एवज में उन्होंने चिराग पासवान को अध्यक्ष पद से हटाया है। हालांकि चुनाव आयोग तय करेगा कि असली LJP कौन है।

 

 

 

 

 

 

वहीं पार्टी में मचे बवाल पर चिराग पासवान ने ट्विटर पर लिखा, ‘पापा की बनाई इस पार्टी और अपने परिवार को साथ रखने के लिए किए मैंने प्रयास किया लेकिन असफल रहा।पार्टी माँ के समान है और माँ के साथ धोखा नहीं करना चाहिए। लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है। पार्टी में आस्था रखने वाले लोगों का मैं धन्यवाद देता हूँ। एक पुराना पत्र साझा करता हूँ।’

 

 

 

 

रामविलास पासवान को राजनीति का माहिर खिलाड़ी माना जाता था। रामविलास ने अपने बाद उनकी राजनीतिक विरासत को संभालने का जिम्मा चिराग को दिया और 2019 में उन्हें पार्टी का अध्यक्ष बनाया। उल्लेखनीय है कि लोजपा की स्थापना के बाद रामविलास के बाद चिराग पार्टी के दूसरे अध्यक्ष बने। लोजपा के स्थापना काल के बाद पार्टी में इतनी बड़ी टूट का सामना कभी नहीं करना पड़ा था।

 

 

 

 

 

 

 

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