झरिया के फोटो जर्नलिस्ट इजहार आलम को मिला अवार्ड

AJ डेस्क: धनबाद जिला के ऐतिहासिक शहर झरिया के रहने वाले वरिष्ठ फोटो जॉर्नलिस्ट (छायाकार) मोहम्मद इजहार आलम को मंगलवार की शाम प्रेस कॉउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से दिल्ली के कॉस्टीट्यूशन क्लब आफ इंडिया के डिप्टी स्पीकर हाल में काउंसिल की चेयर पर्सन जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई द्वारा अवार्ड दिया गया।

 

 

बता दें कि इजहार आलम पिछले तीन दशकों से पत्रकारिता से जुड़े हुए हैं। इस दौरान उन्होंने देश के कई प्रमुख हिंदी, उर्दू, बांग्ला और अंग्रेजी अखबारों में अपनी सेवा दी है। पिछले दिनों धनबाद के स्थानीय एक अखबार में छपी उनकी तस्वीर “जल ही जीवन” शीर्षक फोटो न्यूज को प्रेस कॉउंसिल ऑफ इंडिया के निर्णायकों ने नेशनल अवार्ड फार एक्सिलेंस इन जर्नलिज्म 2020 (फोटो जर्नलिज्म सिंगल न्यूज पिक्चर श्रेणी) के लिए चुना गया था। अपने इस चित्र के बारे के जानकारी देते हुए इजहार कहते हैं कि हम धनबाद कोयलांचल में रहते हैं। जहां गर्मी के दिनों में एक-एक बूंद पानी के लिए लोगों की सुबह से जद्दोजहद करते देखा जा सकता है। अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए लोग कई किलोमीटर दूर से पानी लाते हैं। हमने यह तस्वीर खास परिस्थिति में बच्चों की पानी के प्रति ललक देखकर खींची थी। मकसद यही था कि लोग पानी का मोल समझें, उसे सहेजें, उसकी एक एक बूंद को अमृत समझें और उसे बर्बाद ना होने दें।

 

 

इजहार आलम को यह सम्मान मिलना झरिया के लिए गर्व की बात है। बता दें कि इजहार अहमद ने अपना पूरा जीवन पत्रकारिता जगत को समर्पित कर दिया। अब भी वह अपनी कैमरे से ली तस्वीरों के माध्यम से झरिया की आग व भु-धंसान सहित आसपास के क्षेत्रों की अन्य समस्याओं को बखूबी उजागर कर दुनिया को रूबरू करा रहे हैं। इजहार को मिले इस उपलब्धि से धनबाद जिले के पत्रकार समुदाय में खुशी की लहर है। समाज के राजनीतिक, समाजसेवी सहित गणमान्य लोगों का कहना कि जिस प्रकार से इजहार आलम ने अपना पूरा जीवन पत्रकारिता को समर्पित कर हर छोटी बड़ी समस्याओं को उठाते हुए जिला का गौरव बढ़ाया है और हमसभी जिलावासियों को गौरान्वित किया है। वहीं इजहार के परिवार सहित पुत्र शब्बीर हुसैन भी पिता के इस उपलब्धि से गदगद हैं। शब्बीर भी पेशे से फोटोजॉर्नलिस्ट हैं।

 

 

शब्बीर ने पिता की पत्रकारिता जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उन्होंने अपनी सारी उम्र क्षेत्र की जनसमस्याओं, समाज के दबे कुचले वर्ग, मजदूर वर्ग की जीवन शैली को बखूबी अपने तस्वीरों के माध्यम से सरकार और प्रशासनिक अमला को अवगत कराया है। शब्बीर का कहना है कि वे अपने पिता की कार्य शैली के तर्ज पर लोगों की आवाज बनने की कोशिश करेंगे।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »