रोचक: मीसा के तहत कार्रवाई हुई, बिटिया का नाम रख दिया “मीसा”
AJ डेस्क: लालू यादव की पॉलिटिक्स को लेकर लोगों के अपने-अपने मत हैं। कुछ के लिए वो सेक्युलर हीरो फिगर हैं। कुछ के लिए भ्रष्ट पॉलिटिशियन जिसने बिहार को बर्बाद कर दिया। बाकि लालू जो भी हों, एक व्यक्तित्व के तौर पर कौतूहल बहुत जगाते हैं।
उदाहरण के तौर पर-
1976 में उनकी बेटी का जन्म हुआ। इमरजेंसी के समय लालू जेल गए थे। उन पर जो धारा लगाई गई थी उसका नाम था मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट- Maintenance of Internal Security Act (MISA) . बस, अपनी बेटी का ही नाम वो रख दिया। उनकी बेटी का नाम मीसा भारती है।
वह 2019 के लोकसभा चुनाव में पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से राष्ट्रीय जनता दल की उम्मीदवार हैं। उन्होंने गुरुवार यानि 25 अप्रैल को अपना नामांकन दाखिल किया।
मीसा भारती का नाम घर-घर में तब पहुंचा था, जब 1997 में लालू यादव भ्रष्टाचार के आरोप में जेल गए, और राबड़ी देवी को बिहार का सीएम बनाया गया। उस समय ये कहा गया कि मीसा ने अपनी मां का दायां हाथ बनकर काम किया। इस समय उनकी बदमिजाजी के किस्से भी बहुत मशहूर हुए। कहा गया, मीसा किसी से भी लड़ लेती हैं। अधिकारियों को खरी-खोटी सुना दिया करती हैं। MGM मेडिकल कॉलेज जमशेदपुर के एंट्रेंस में मीसा फेल हो गई थीं, तो TISCO कोटे के तहत उनको एडमिशन मिल गया। इस पर कहा गया कि लालू यादव ने बैकडोर से अपनी बेटी को एडमिशन दिलवाया है। काफी आलोचना भी हुई थी इस बात की।
1999 में जब इनकी उम्र 23 साल थी, तभी इनकी शादी के लिए इनकी मां राबड़ी देवी ने घर सिर पर उठा लिया था। वो कहतीं थी, इसकी उम्र में हम तीन बच्चों की मां थे। प्रभुनाथ यादव की बेटी मीसा से छोटी है, उसकी भी शादी इस साल होने जा रही है। आखिरकार लालू ने कहा, इस साल शादी करा देंगे। दूल्हा चुना शैलेन्द्र कुमार। कम्प्यूटर इंजीनियर। बिहटा का लड़का था, बड़ौदा और लखनऊ से पढ़ा था।
2014 में भी लोकसभा चुनाव लड़ी थीं मीसा। पाटलिपुत्र सीट से ही। उनके अगेंस्ट खड़े थे राम कृपाल यादव। इस चुनाव में मीसा हार गईं। लेकिन इसकी कहानी बहुत इंटरेस्टिंग है। पाटलिपुत्र सीट से मीसा चुनाव लड़ना चाहती थीं। लेकिन उनकी पार्टी के राम कृपाल यादव बागी हो गए। उनको पाटलिपुत्र से टिकट चाहिए था। राजद ने टिकट नहीं दिया तो वह बीजेपी से जा मिले। वहां से टिकट मिल गया। मीसा पाटलिपुत्र से हार गईं।
इसको लेकर उन्होंने बयान दिया इस साल यानि 2019 की जनवरी में। कहा रामगोपाल यादव कुट्टी काटा करते थे। उनके लिए मन में बहुत इज्जत थी। लेकिन इज्जत उस दिन ख़त्म हो गई जिस दिन ये सुशील कुमार मोदी की किताब अपने हाथ में पकड़ कर के खड़े थे। मीसा ने कहा कि उनकी इच्छा हुई कि उसी कुट्टी काटने वाले गंडासे से इनका (राम कृपाल यादव का) हाथ काट दें। राम कृपाल इस वक़्त केन्द्रीय राज्य मंत्री हैं, ग्रामीण विकास के।
इसको लेकर बहुत बवाल मचा। बीजेपी ने कहा कि हाथ जोड़कर माफ़ी मांगनी चाहिए मीसा को। वरना जनता लोकसभा चुनावों में सबक सिखाएगी।
2015 में एक और हंगामा हुआ था। मीसा गई थीं अमेरिका। वहां की मशहूर यूनिवर्सिटी हार्वर्ड में एक इवेंट था। उसी को अटेंड करने। ऑडियंस की तरह। उसके बाद उन्होंने उस इवेंट में पोडियम के पास खड़े होकर फोटो खिंचवाई। माइक के पीछे। वो फोटोज फेसबुक पर डालीं उन्होंने। मिनटों में खबर फैली कि मीसा भारती हार्वर्ड में लेक्चर देने गई थीं। फिर हार्वर्ड और मीसा भारती दोनों ने सफाई जारी की कि ऐसा कुछ नहीं था।
मीसा इस बार चुनाव में पूरी तैयारी के साथ उतर रही हैं। कुछ लोगों का ये मानना है कि मोदी लहर के धीमे पड़ने और लालू प्रसाद की गिरती सेहत की वजह से लोगों की सिम्पथी शायद उनके फेवर में काम कर जाए। लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जिनको ये लगता है कि मीसा के पास उस तरह का सपोर्ट नहीं है कि राम कृपाल यादव को टक्कर दी जा सके। अब नतीजा क्या होता है, ये तो आने वाली 23 मई को ही पता लग पाएगा।
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