4 वर्षों से एक ही वीडियो को वायरल कर सनसनी फ़ैलाने का प्रयास

AJ डेस्क: “भाई लोग कोलकाता के रज़ा बाजार में 63 मदरसे के बच्चों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है उनका कहना है कि यह आतंकवादी की ट्रेंनिंग लेने के लिए जा रहे है। इस मैसेज को जल्दी फॉरवर्ड करे, मीडिया ने दिखाने से इंकार कर दिया है मीडिया बोल रहा है कि हमें ऊपर से ऑर्डर है कि नहीं दिखाने का प्लीज़ फॉरवर्ड ऑल ग्रुप।”

 

 

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इस कैप्शन के साथ सोशल मीडिया में एक वीडियो पोस्ट को शेयर किया जा रहा है। वीडियो में कुछ स्टूडेंट्स के ग्रुप को पुलिस वाले के साथ चलते दिखाया गया है।

 

 

दावा किया जा रहा है कि ये छात्र मदरसे के हैं और इन्हें पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पोस्ट के मुताबिक पुलिस ने बताया कि ये बच्चे आतंकवाद का प्रशिक्षण लेने जा रहे थे।

 

Bhai log kolkata ke raza bazar me 63 madarse ke bachhe ko police ne giraftar kr liya h unka kahna h ke ye aatankwadi ka training lene ja rahe h..is Msg ko jaldi forward kre media dekhne se in kar kar Diya h media bol raha h ke hme uper se order h nhi dekhne ka plz forward all grp…

Posted by Hassan Bin Al Sari on Thursday, May 30, 2019

 

कुछ फेसबुक यूजर्स ने भी इस पोस्ट को इसी दावे के साथ शेयर किया है।

 

बता दें कि इस वीडियो क्लिप को इसी दावे के साथ पिछले चार सालों से वायरल किया जा रहा है। अजान खान नाम के यूजर ने इस क्लिप को अगस्त 2015 में पोस्ट किया गया था। इस पोस्ट को 10 लाख लोगों ने देखा और 64,000 बार शेयर किया गया।

 

 

वीडियो से जुड़ा दावा झूठा

सोशल मीडिया पर वायरल ये वीडियो गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। दरअसल ये वीडियो तब का है, जब कुछ छात्र पुणे के एक मदरसे में पढ़ने जा रहे थे और कोलकाता के सियालदह में डॉक्यूमेंट की कमी के चलते पुलिस ने उन्हें रोक दिया था।

 

 

यह घटना अगस्त 2015 की है। इंडियन एक्सप्रेस के एक आर्टिकल में इस बात का जिक्र भी है। इस दौरान भारतीय रेल पुलिस ने पुणे के मदरसे में जा रहे 63 बच्चों को पकड़ा था। बच्चों को आशा चाइल्ड वेलफेयर सोसाइटी के ऑफीसर्स के कहने पर पकड़ा गया था।

 

 

रेलवे पुलिस की तरफ से बच्चों की पहचान के लिए उन्हें हिरासत में लिया गया था। बाद में इस वीडियो को गलत जानकारी के साथ फैलाया गया। जबकि बच्चों के आतंकवाद का प्रशिक्षण लेने के दावा झूठा है। ये घटना लगभग 4 साल पहले की है और बाद में पुलिस ने बच्चों को रिहा कर दिया था।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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