राष्ट्र को संबोधित किया PM ने, कहा- आज का दिन जोड़ने, जुड़ने और मिलकर जीने का (देखें वीडियो)

AJ डेस्क: अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और पंजाब में करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन के बाद पीएम मोदी ने देश के नाम संबोधन दिया। अपने संबोधन में उन्होंने देश की जनता से शांति, सौहार्द और सद्भाव का माहौल बनाने की अपील की, पीएम मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आज जो फैसला सुनाया दशकों पुरानी समस्या सुलझ गई। इस फैसले के बाद जिस प्रकार हर वर्ग, समुदाय के लोगों ने जिस तरीके से इसे स्वीकार किया है, वह भारत की विविधता में एकता को दर्शाता है। गर्व होता है कि हजारों साल बाद भी किसी को विविधता में एकता को समझाना होगा तो वह इस घटना का जरूर उल्लेख करेगा।

 

 

आज अयोध्या पर फैसले के साथ ही, 9 नवंबर की ये तारीख हमें साथ रहकर आगे बढ़ने की सीख भी दे रही है। आज के दिन का संदेश जोड़ने का है-जुड़ने का है और मिलकर जीने का है। उन्होंने कहा कि नए भारत में भय, कटुता, नकारात्मकता का कोई स्थान नहीं है। सर्वोच्च अदालत का ये फैसला हमारे लिए एक नया सवेरा लेकर आया है। उन्होंने कहा कि इस विवाद का भले ही कई पीढ़ियों पर असर पड़ा हो, लेकिन इस फैसले के बाद हमें ये संकल्प करना होगा कि अब नई पीढ़ी, नए सिरे से न्यू इंडिया के निर्माण में जुटेगी। अब समाज के नाते, हर भारतीय को अपने कर्तव्य, अपने दायित्व को प्राथमिकता देते हुए काम करना है। हमारे बीच का सौहार्द, हमारी एकता, हमारी शांति, देश के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

 

देखें वीडियो-

Ayodhya Verdict.

Ayodhya Verdict.

Posted by Narendra Modi on Saturday, November 9, 2019

 

 

उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि परिवार का एक मसला भी सुलझाना हो तो यह आसान नहीं होता है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को पूरे धैर्य के साथ सुना और इसके लिए पूरा देश उनका आभारी है। आज 9 नवंबर है, जिस दिन बर्लिन की दीवार गिरी, इसी दिन दुनिया ने एक नया संकल्प लिया था। आज करतारपुर कॉरिडोर की शुरुआत हुई, जिसमें भारत और पाकिस्तान का सहयोग रहा है। 9 नवंबर की तारीख हमें साथ में आगे बढ़ने की सीख दे रही है। उन्होंने कहा कि किसी के मन में किसी भी प्रकार की कटुता रही है, उसको तिलांजलि देने का भी दिन है।

 

 

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कई वजहों से महत्वपूर्ण है, ‘यह बताता है कि किसी विवाद को सुलझाने में कानूनी प्रक्रिया का पालन कितना अहम है। हर पक्ष को अपनी-अपनी दलील रखने के लिए पर्याप्त समय और अवसर दिया गया। न्याय के मंदिर ने दशकों पुराने मामले का सौहार्दपूर्ण तरीके से समाधान कर दिया।’

 

 

 

 

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