ला&ऑर्डर: डेढ़ दशक पुरानी बिहार की याद ताजा करा रहा प.बंगाल
AJ डेस्क: चुनाव आयोग के विशेष पर्यवेक्षक अजय वी. नायक ने शनिवार को कहा कि पश्चिम बंगाल के मौजूदा हालात 15 साल पहले के बिहार जैसे हैं। बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) रह चुके नायक ने कहा कि पश्चिम बंगाल के लोगों का राज्य पुलिस पर भरोसा नहीं रह गया है और इसलिए सभी मतदान केंद्रों पर केंद्रीय बलों की तैनाती की उनकी मांग बढ़ गई है। पश्चिम बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी के कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में नायक ने कहा कि बिहार में अब हालात सुधर चुके हैं और वहां कम संख्या में केंद्रीय बलों की जरूरत पड़ती है।
साल 1984 बैच के आईएएस अधिकारी नायक को हाल में पश्चिम बंगाल में होने वाले अंतिम पांच चरणों के चुनाव की निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्होंने कहा, ‘पश्चिम बंगाल के मौजूदा हालात बिहार के 15 साल पुराने जैसे हालात की तरह हैं। बिहार में उस समय सभी मतदान केंद्रों पर केंद्रीय बलों की तैनाती की जरूरत पड़ती थी। अब ऐसी जरूरत पश्चिम बंगाल में पड़ती है, क्योंकि राज्य के लोगों को पश्चिम बंगाल पुलिस पर भरोसा नहीं रहा और वे सभी मतदान केंद्रों पर केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग कर रहे हैं।’
नायक ने पश्चिम बंगाल के सीईओ आरिज आफताब की मौजूदगी में कहा कि मैं यह नहीं समझ पा रहा कि जब बिहार के लोग माहौल और हालात में बदलाव लाने में कामयाब हो गए तो पश्चिम बंगाल में ऐसा क्यों नहीं हो पा रहा।
TMC writes to Election Commission of India against Ajay V Nayak, special observer for Bengal in #LokSabhaElections2019 , for his reported comments, 'present condition of Bengal is like it used to be in Bihar 10 years ago' & that 'everything is not well with democracy in Bengal' pic.twitter.com/pSQEa18oS9
— ANI (@ANI) April 20, 2019
उन्होंने कहा कि 23 अप्रैल को तीसरे चरण के मतदान के दौरान केंद्रीय बलों की 324 कंपनियों को पांच लोकसभा क्षेत्रों के 92 फीसदी से ज्यादा मतदान केंद्रों पर तैनात किया जाएगा। 23 अप्रैल को राज्य की बलूरघाट, मालदा उत्तरी, मालदा दक्षिणी, जांगीपुर और मुर्शिदाबाद लोकसभा सीटों पर मतदान होगा।
इस बीच, चुनाव आयोग ने मालदा के पुलिस अधीक्षक अर्णब घोष का तबादला कर दिया है। उनकी जगह अजय प्रसाद को मालदा का पुलिस अधीक्षक बनाया गया है। सूत्रों ने बताया कि कथित तौर पर तृणमूल कांग्रेस प्रशासन के करीबी घोष चुनाव आयोग की नजरों में थे। कुछ दिनों पहले प्रदेश भाजपा ने चुनाव आयोग से घोष को पद से हटाने की मांग की थी।
Article पसंद आया तो इसे अभी शेयर करें!